लखनऊ– बीएचयू और आईआईटी कानपुर के तीन छात्रों के साथ इसी साल मार्च में ऐंटी रोमियो स्क्वॉड ने अभद्रता की था। जब वे उनकी महिला मित्रों के साथ पार्क में बैठे थे तब ऐंटी रोमियो स्क्वॉड ने थप्पड़ मारा था और उन्हें पार्क से बाहर निकाल दिया था।
इस घटना के बाद से ऐंटी रोमियो स्क्वॉड शांत हो गया। अब प्रेमियों को परेशान करने की जगह शरारती तत्वों की पहचान की जाने लगी। यह सब हुआ एक कोर्स के कारण। आईआईएम लखनऊ में ऐंटी रोमियो स्क्वॉड के महिला और पुरुष कॉन्स्टेबल के गुस्से के मैनेजमेंट और भावनाओं के समझने के लिए मैनेजमेंट गुरुओं द्वारा एक कोर्स चलाया गया। इस कोर्स को मानोचिकित्सक लीड कर रहे थे। इस कोर्स की एक दिन का खर्च 20,000 रुपये आया। इस तीन महीने की ट्रेनिंग में एमबीएसआर (माइंडफुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडेक्शन) तकनीक का प्रयोग किया गया। यहां की फैकल्टीज ने ऐंटी रोमियो स्क्वॉड को लिंग संवेदीकरण, शरीर के हाव-भाव और छोटे से छोटे भावों को समझनों का पाठ पठाया।
फैकल्टी ने यूपी पुलिस के कॉन्स्टेबल को यह भी सिखाया कि वह किसी को उठक-बैठक, कान पकड़ना, चेहरा काला करना या बाल मुंडवाना जैसे कामों को भी बंद करें। उन्हें पुरुष कॉन्स्टेबल को इस तरह की क्रियाकलाप न करने के लिए समझाने में काफी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि वे शरारती तत्वों को शारीरिक दंड देने के पक्ष में थे। ट्रेनिंग के दौरान महिला पुलिस को समय के हिसाब से संवेदनाओं को समझने का पाठ पढ़ाया गया। उन्हें जागरूक किया गया कि वे नॉन जजमेंटल रहें। इस दौरान सामने आया कि महिला और पुरुष पुलिस दोनों में ही अवसाद की स्थिति एक सी थी। इस वजह से वे ज्यादा तनाव और चिंता में रहते थे और केस को इस तरह से डील करते थे। इसलिए उन्हें ध्यान, योगा और आध्यात्मिक ट्रेनिंग दी गई। पूरे प्रदेश के 75 जिलों से 810 कॉन्स्टेबल को इसमें ट्रेनिंग दी गई। इसमें तीन न्यायिक विशेषज्ञ भी शामिल हुए।