दिल्ली– पेटीएम कंपनी के मालिक से निजी और कंपनी का डाटा सार्वजनिक नहीं करने के एवज में 20 करोड़ की रंगदारी मांगी गई। मामले में पेटीएम मालिक की निजी सचिव, उसके पति और कंपनी के एडमिन को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक आरोपी फरार है।
यह भी पढ़ें-बॉर्डर पर चीन निर्मित टेंट में दिखी नेपाली आर्मी, भारत हुआ चौंकन्ना
पेटीएम देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन चुकी है। इस मुकाम तक पेटीएम को पहुंचाने में सबसे प्रमुख भूमिका रही कंपनी के मालिक औऱ संस्थापक विजय शेखर शर्मा की। आइये जानते हैं कि विजय शेखर किस तरह से सफलता के इस पड़ाव तक पहुंचे।
एक दौर ऐसा भी था जब खाने तक को नहीं थे पैसे-
अलीगढ़ के मूल निवासी विजय शेखर शर्मा जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास खाने के पैसे तक नहीं थे। पेटभर खाने के लिए वह बहाने बनाकर दोस्तों के पास पहुंच जाते थे और खाना खाते थे। इन सब दिक्कतों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलता के शिखर तक पहुंचे।
विजय शेखर के निजी जिंदगी की बात करें तो उनकी शिक्षा सरकारी हिंदी माध्यम के स्कूलों में हुई। दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से उन्हें कई बार बड़ी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। डिक्शनरी से हिंदी को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके पढ़ते थे, इससे उनकी अंग्रेजी ठीक हुई और इससे होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया।
विज्ञापन
2011 में लांच किया पेटीएम-
विजयशेखर शर्मा ने साल 2001 में 2 लाख रुपए लगाकर One-97 नाम की कंपनी की शुरुआत की, जो मोबाइल से जुड़ी वैल्यू ऐडेड सर्विसेस देती थी। कॉमर्स में ज्यादा अनुभव न होने के कारण कंपनी की हालत एक साल में ही खराब होने लगी।
खाने-पीने के लिए भी उनके पास पैसे तक नहीं बचे। दो वक्त सिर्फ चाय पीकर ही गुजारा करते थे। पैसे बचाने के लिए वे बस के बजाए पैदल चलते थे। घर-घर जाकर कम्प्यूटर के छोटे-मोटे काम करते थे। लेकिन कहते हैं न कोशिश करने वालों की हार नहीं होती…. विजय की भी कोशिशें रंग लाने लगीं और उनकी कंपनी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी और मुनाफा कमाने लगी।
किराने का सामान, ऑटोवाले को पैसे देते वक्त छुट्टे की दिक्कत ने उनको Paytm जैसी कंपनी बनाने के लिए प्रेरित किया। Paytm को 2011 में लांच किया गया था। बिजनेस बढ़ने पर पेटीएम में ऑनलाइन वॉलेट, मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, मनी ट्रान्सफर, शॉपिंग और बैंकिंग जैसे फीचर भी जोड़ दिए।