न्यूज डे्सक — कई दिनों की अटकलों के बाद आखिरकर अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीद लिया है. वॉलमार्ट ने कंपनी की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर यानी 1.05 लाख करोड़ रुपये में खरीदी है.
वहीं फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी रखने वाले जापानी ग्रुप सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने भी इसकी पुष्टी की.मार्केट रिसर्च कंपनी फॉरेस्टर के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स की बिक्री पिछले साल 21 बिलियन डॉलर हो गई थी, और उम्मीद है कि 1.25 अरब लोगों से अधिक की आबादी और इंटरनेट एक्सेस का उपयोग करेगी.
बता दें कि फ्लिपकार्ट की स्थापना साल 2007 में अमेजन के पूर्व कर्मचारियों सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने की थी. अमेज़ॅन की तरह यह एक ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप में शुरू हुआ था. फ्लिपकार्ट अब जूते, सोफा और सौंदर्य उत्पादों को चलाने के लिए मोबाइल फोन, टेलीविजन समेत बहुत कुछ बेचता है.
तीन करोड़ आम दुकानदारों होगा नुकसान…
माना या भी जा रहा कि इस डील से देश के 3 करोड़ आम दुकानदारों को सीधे तौर पर बड़ा नुकसान हो सकता है. माना जा रहा है कि इससे देश में 6 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं. आपको बता दें कि दुकानदारों के संगठन ने इस डील को रोकने के लिए सरकार से भी अपील की थी. उसने कॉमर्स मिनिस्ट्री को ज्ञापन देकर मामले में दखल देने को भी कहा था. देश में फिलहाल 7 करोड़ दुकानदार हैं.
एक्सपर्ट्स माने तो….
-ऑनलाइन सेल्स को बढ़ाने के लिए वॉलमार्ट अमेरिका में हुए हालिया जेट.कॉम डील और चीन में जेडी.कॉम के साथ हुई डील से आगे निकलना चाहती है
-भारत में वॉलमार्ट को रेग्युलेशन के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और फ्लिपकार्ट में इन्वेस्टमेंट उसे ऑनलाइन रिटेल मार्केट में बड़ी जगह दे देगा.
-बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि 43 फीसदी से ज्यादा मार्केट शेयर के साथ फ्लिपकार्ट मार्केट लीडर है.
-उन्होंने अनुमान लगाया है कि 2019 में फ्लिपकार्ट 44 फीसदी शेयर कायम रखने में सफल रहेगी.
-वहीं, अमेजन का मार्केट शेयर 37 फीसदी और स्नैपडील का मार्केट शेयर मात्र 9 फीसदी रह जाएगा.
-इस सौदे के साथ ही वॉलमार्ट इसमें दो अरब डॉलर का नया निवेश करेगा.
-वॉलमार्ट और फ्लिकार्ट अलग – अलग ब्रांड बने रहेंगे और इसका निदेशक मंडल भी अलग होगा जिसमें वॉलमार्ट के प्रतिनिधित्व के लिए बदलाव किया जाएगा.
-अभी इस सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और अन्य नियामकों की मंजूरी मिलनी बाकी है.