कानपुर शूटआउट के मोस्ट वॉन्टेड विकास दुबे (Vikas) को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया है. विकास दुबे ने महाकालेश्वर मंदिर की पर्ची कटाई, मंदिर के दर्शन किए और इसके बाद खुद ही सरेंडर कर दिया.
दरअसल विकास दुबे (Vikas) का आपराधिक इतिहास लंबा है. वर्ष 2000 से लेकर आज तक उसने अनगिनत जुर्म किए. कई मामलों में वो बरी हुआ तो कई मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं.
अपने ही प्रिंसिपल को उतार दिया था मौत के घाट…
वहीं 28 सालों में कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas) ने क्रूरता की कई रोंगटे खड़े कर देने वाली मिसालें खड़ी कीं जिससे लोगो में उसका खौफ बना रहे. स्कूल के दिनों की बात करें तो उसने अपने प्रिंसिपल को तड़पा-तड़पाकर मौत के घाट उतारा था यहीं नहीं वह क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए उनके खून से अपने हाथों को रंगा था. बताया जा रहा है कि विकास ऐसा कई लोगों के साथ किया.
ये वही अपराधी है, जिसने 2001 में राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा पाए संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी.
प्रिंसिपल का खून अपने हाथों में मला था…
बता दें कि विकास जिस स्कूल में पड़ता था, उसी के बुजुर्ग प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडेय की वीभत्स हत्या कर दी थी. प्रिंसिपल के बेटे राजेंद्र ने बताया कि प्रिंसिपल ने बचने की खूब दुहाई दी लेकिन उसने एक नहीं सुनी. हत्या के बाद उसने अपने प्रिंसिपल का खून अपने हाथों में मला था. वहीं मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी गुरुवार को कहा कि विकास दुबे बचपन से ही अपराधी प्रवृत्ति का शख्स था.
गौरतलब है कि विकास दुबे ने 2 जुलाई की रात कानपुर में अपने साथियों के साथ 8 पुलिसवालों को मौत के घाट उतार दिया था जिसमें एक सीओ भी शामिल हैं.
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