एटा —एटा के जिस विकास भवन से पूरे जनपद के विकास की रूपरेखा तैयार की जाती हो वही विकास भवन खुद अपना विकास नहीं कर पा रहा है। भवन में जगह जगह खर-पतवार उगी हुई है। पेड़ों की जड़ें दीवालों में पैवस्त हैं जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं।
वर्षों से समूचे भवन की रंगाई पुताई तक नहीं हुई है। जो विकास भवन जिले की विकास कार्यो की रूप रेखा तैयार करता है वही विकास भवन अपनी बदहाली पर आँशु बहा रहा है, तो आप ही अंदाज लगाइए कि ये विकास भवन में बैठे मुख्य विकास अधिकारी महोदय जब अपने कार्यालय को ही सही नहीं करा सकते तो जनपद के अन्य जगह क्या विकास कार्य करायेगे। इनके लिए ये विकास कुछ बेमानी सा लगता है। इतना ही नहीं विकास भवन के बाथरूम में ऐसी हालत है कि आप उसमे जाना तो बहुत दूर की बात है आप वहा से निकल भी नहीं सकते है क्योंकि उनमें गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। जब कि देश के प्रधान मंत्री स्वक्षता मिशन पर करोडो रुपये विज्ञापन पर ही खर्च कर रहे है जबकि ये हालत जनपद को विकास देने वाले विकास भवन की हालत है। लेकिन उनके अधिकारी ही इस योजना को पलीता लगाने का काम कर रहे है। वही बाथरूम में लगे वाश वेशन में लगभग एक दर्जन से ज्यादा अंग्रेज़ी ब्रांड के शराब की बोतलें पड़ी मिलीं हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ कर्मचारी शाम ढलते ही शराब पीना शुरू कर देते है।
जनपद एटा का विकास भवन शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित है, जो करोडो की लागत से कुछ ही बर्ष पहले बनाया गया है। फिर भी इसकी हालत जर्जर बनी हुई है जब कि यहाँ मुख्य विकास अधिकारी सहित जिले के दर्जन से ज्यादा अन्य अधिकारी भी बैठते है। लेकिन फिर भी यहाँ की हालत बहुत ख़राब है। शहर से बाहर होने के चलते यहाँ कर्मचारी अपनी मस्ती में मस्त रहते है। कभी कभी तो कई अधिकारियो के कमरों में ताला लगा देखा जा सकता है। जनपद को विकास देने वाले इस विकास भवन की हालत तो आप अपनी टीवी स्क्रीन पर देख सकते है कि जगह जगह गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है और इस इमारत की जर्जर हालत कैसी है और वही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वछता मिशन को लेकर कितने दावे कर रहे है उनकी पोल खोलने के लिए ये काफी है। शौचालयों के किसी भी बाथरूम में पानी नही आता है और ना ही उसकी सीट सही है सब कुछ टूटा फूटा पड़ा है और इन अधिकारी महाशय ने उसको ठीक कराने की जहमत तक नही उठाई। वर्षों से समूचे भवन की रंगाई पुताई तक नहीं हुई है। जो विकास भवन जिले के विकास कार्यो की रूप रेखा तैयार करता है वही विकास भवन अपनी बदहाली के आँशु बहा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि विकास भवन बैठे ये अधिकारी अपने ऑफिस को ही जब सही नहीं करा सकते तो जनपद में अन्य जगह क्या खाक विकास करायेगे।
इतना ही नहीं मुख्य विकास अधिकारी की नाक के नीचे उनके कर्मचारी दिन मे ही शराब पीना शुरू कर दते है। ये हम नहीं कह रहे है ये तो बाथरूम के वाश वेशन में पड़ी अंग्रेजी शराब की बोतले खुद चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है कि यहाँ दिन में ही शराब पी जाती है। बाथरूम में पड़ी शराब की खाली बोतलों को देखकर तो कोई भी कह सकता है कि यहाँ रोजाना शराब पी जाती है। मुख्य विकास अधिकारी उग्रसेन पांडेय की माने तो उनके लिए ये कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी ऐसा मामला उनके संज्ञान में कई बार आया था।
(रिपोर्ट – आर. बी. द्विवेदी , एटा )