न्यूज डेस्क– हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत रखती हैं। ऐसे ही व्रतों में से एक है वट सावित्री व्रत।
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विवाहित महिलाएं इस दिन अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए व्रत-उपासना करती हैं। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह में अमावस्या के दिन की जाती है।
व्रत का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थी। अतः इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
मान्यताओं के अनुसार जो स्त्री उस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके पति पर आई सभी परेशानिया भी दूर हो जाती हैं। विवाहिताओं द्वारा यह व्रत मनाया जाएगा परन्तु वट वृक्ष के पास भीड़ जुटाने की इजाजत नहीं है। लॉकडाउन ने नवविवाहिताओं का उत्साह कम कर दिया है।
शुभ मुहूर्त और विधि-
अमावस्या तिथि 21 मई को रात 9 बजकर 34 मिनट पर लग जाएगी और 22 तारीख की रात 11 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होकर ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। ऐसे में सुहागन स्त्रियां सुबह से ही वट वृक्ष की पूजा कर सकती हैं।
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 21, 2020 को रात 09:35 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 22, 2020 को रात 11:08 बजे