‘न खाता न बही, जो योगी सरकार कहे वही सही’

वाराणसी– केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार भले ही कह रही हो कि सांस्कृतिक विरासत को छेड़े बिना वाराणसी का विकास होगा, लेकिन अधिकारी ठीक इसके उल्टा ही कर रहे हैं । इसका प्रमाण काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार के लिए बनी योजना से सामने आया है।

इसके खिलाफ अब विरोध के सुर उठने लगे हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार के क्रम में 400 मीटर का कॉरिडोर बनाने और हर की पौड़ी की तरह गंगा की धारा को मंदिर तक पहुंचाने के लिए 167 भवनों का अधिग्रहण किए जाने की योजना है। इसको साकार करने के लिए विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ राजस्व विभाग की टीम ने प्रस्तावित कॉरिडोर के बीच पड़ रहे भवनों का सर्वे शुरू किया है।

योजना पर खर्च किए जाने हैं 480 करोड़ :

भवनों का सर्वे किए जाने की जानकारी मिलते ही काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के निवासियों की रविवार को नीलकण्ठ मन्दिर के प्रांगण में बैठक हुई। इस बैठक में ऐलान किया गया कि बाबा विश्वनाथ को गंगा दर्शन कराने के नाम पर हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत का विध्वंस नहीं होने दिया जाएगा। इसके बिरोध में काशी वासियो ने बिरोध मार्च निकाला। बैठक में कहा गया कि शिव की तरह काशी भी अजन्मी हैं। काशी को हम उजड़ने नही देगे चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। चाहे उसकी कीमत प्राण दे कर भी क्यों न चुकानी पड़े हम पीछे नही हटेंगे।

सभा में वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा, केदारनाथ व्यास, कृष्ण कुमार शर्मा, शशिधर इस्सर, दिलीप यादव, राजकपूर, छांगे गुरु, सुनील मल्होत्रा, सन्तोष शर्मा, सोनू कपूर, मदन यादव, सदन यादव व बबलू गुरु ने अपने विचार रखें।

(रिपोर्ट -बृजेन्द्र बी. यादव , वाराणसी ) 

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