मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020’ को अनुमोदन प्रदान कर दिया है। ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में ‘उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप नीति-2017’ प्रचलन में है, जिसकी परिकल्पना सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की स्टार्टअप इकाइयों के दृष्टिगत की गई थी।
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‘यूपी एन्जेल नेटवर्क’ की स्थापना-
सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 1800 से अधिक स्टार्टअप इकाइयां उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग, भारत सरकार के साथ पंजीकृत हुई हैं। स्टार्टअप इकाइयों के वित्तपोषण के लिए सिडबी के साथ 1,000 करोड़ रुपये के स्टार्टअप फण्ड की स्थापना तथा ‘यूपी एन्जेल नेटवर्क’ की स्थापना की गई है। इन्क्यूबेटर्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल आरम्भ किया गया है।
प्रदेश के सभी प्रकार के उद्योगों हेतु कोई समग्र स्टार्टअप नीति वर्तमान में नहीं है, अतः प्रदेश में सभी क्षेत्रों – यथा कृषि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, ऊर्जा, खादी, शिक्षा, पर्यटन, परिवहन इत्यादि क्षेत्रों में भी स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक सुदृढ़ स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनाने के लिए एक स्वतन्त्र एवं समग्र स्टार्टअप नीति निर्गत किये जाने की आवश्यकता अनुभव की गई है। इस क्रम में अन्य प्रदेशों की स्टार्टअप नीतियों के अध्ययन तथा प्रस्तावित नीति के सम्बन्ध में विभिन्न स्तरों पर चर्चा में प्राप्त सुझाव एवं परामर्श का समावेश करते हुए ‘उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति 2020’ बनाये जाने का निर्णय लिया गया है।
सरकारी खरीद में वरीयता-
नीति में प्रोत्साहनों के अन्तर्गत इन्क्यूबेटर्स को पूँजीगत अनुदान, परिचालन व्यय हेतु सहायता, सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना, नवरत्न इन्क्यूबेटर्स की व्यवस्था तथा स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद में वरीयता, भरण-पोषण भत्ता, पेटेन्ट फाइलिंग लागत की प्रतिपूर्ति, स्टार्टअप्स फण्ड, विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों में नवाचार और उद्यमिता पाठ्यक्रम, पूर्वांचल तथा बुन्देलखण्ड के स्टार्टअप्स हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहनों का प्राविधान निहित है।