न्यूज़ डेस्क– भारत में बच्चों को दिया जाने वाला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार सबसे सम्मानित पुरस्कार माना जाता है। “यूपी समाचार” वर्ष 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मानित होने वाले बच्चों के बारे में आपको रूबरू करवाने जा रहा है। इसी कड़ी में आज हम ममता दलाई की वीरता भरी कहानी बताने जा रहे हैं।
जब बड़ी बहन को बचाने के लिए मगरमच्छ से भिड़ गई ममता:
उम्र छोटी और कद भी छोटा, लेकिन हिम्मत इतनी कि उसकी बहादुरी का किस्सा सुनकर कोई भी दांतों तले अंगुली दबा ले। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की रहने वाली सात वर्षीय ममता दलाई लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जिस जगह भी ममता को सम्मान देने के लिए बुलाया जा रहा है, उसको देखकर लोग आश्चर्य चकित हो उठते हैं। उसकी बहादुरी का किस्सा सुनने के लिए ममता के इर्द-गिर्द लोग इकट़ठे हो जाते हैं। ममता उस मगरमच्छ वाली घटना के बारे में बताते हुए कहती है कि उसने मगरमच्छ के मुंह से अपनी बहन का हाथ खींचकर उसे मार भगाया। वह शाम को घर से कुछ दूरी पर शौच के लिए गई थी। अचानक दलदल वाली जगह पर मगरमच्छ आ गया और उसने मेरे साथ गई मेरी बहन के हाथ को अपने मुंह में जकड़ लिया और खींचने लगा। ममता ने बताया कि मैंने भी उसके हाथ को कसकर पकड़े रखा और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। बहन के हाथ से खून बहते देख एक बार डर लगने लगा कि कहीं मगरमच्छ उसे खींचकर न ले जाए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार मगरमच्छ को हाथ छोड़कर उस जगह से वापस जाना पड़ा। उस दौरान मदद के लिए भी कोई नहीं था।
वर्ष 2017 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बच्चों की सूची में ममता का नाम भी शामिल है। इस पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों में वह सबसे छोटी है। वीरता का यह पुरस्कार ममता को मगरमच्छ के चंगुल से अपनी बड़ी बहन की जान बचाने के लिए दिया जाएगा। भले ही दूसरी कक्षा में पढऩे वाली ममता को ठीक से हिंदी बोलनी नहीं आती, लेकिन वह हिंदी ठीक से समझती है और थोड़ा-बहुत जवाब भी दे देती है। वह बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है।