यूपी समाचार की खबर का असर, रिश्वतखोर बाबू गिरफ्तार

मेरठ — बेनामी संपत्ति के नाम पर आवास विकास मे आला अधिकारियों से लेकर बाबू अपनी संपत्ति को दोगुना तिगुना करने में जुटे हुए है।

हालत यह है कि बेनामी संपत्ति को नीलाम करने के बजाए उसके फर्जी कागजात बनाकर प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से लाखों करोड़ों रुपए में बेचा जा रहा है। ऐसा ही ताजा मामला आवास विकास में सामने आया है जब संपत्ति विभाग के एक बाबू ने एक बेनामी संपत्ति को अलॉट करने के नाम पर 25 लाख रुपए बतौर रिश्वत मांग लिए और विभाग के बाबू की यह ऑडियो वायरल हो गई। इस मामले में संपत्ति अधिकारी की संलिप्तता सामने आने पर विभाग में हलचल मच गई और जिलाधिकारी ने रिश्वतखोर मनोहर बाबू को गिरफ़्तार और संपत्ति अधिकारी पर जाँच के आदेश दे दिए हैं।

दरअसल मामला आवास विकास की योजना संख्या 6 के जागृति विहार सेक्टर 3 स्थित एक आवास का है। आवास संख्या 532 सेक्टर 3 को साल 1990 में नेपाल सिंह पुत्र हरवंश को अलाट किया गया था। लेकिन कुछ साल किश्तें जमा करने के बाद मूल आवंटी नेपाल सिंह गायब हो गया। इसके बाद इस मकान को कोई असली वारिस सामने नही आया।

दो साल पहले संपत्ति पर पॉवर ऑफ अटर्नी के माध्यम से अपना वारिसाना हक जताते हुए प्रॉपर्टी डीलर मुकेश ने नामांतरण के लिए आवेदन किया तो आवास विकास को इस बेनामी संपत्ति की सुध आ गई। यहां आवास विकास से पॉवर ऑफ अटार्नी की सत्यता पर सवाल खड़ा करते हुए मूल आवंटी नेपाल सिंह को फिर पत्र लिखा। इसमें संपत्ति अधिकारी ने पॉवर ऑफ अटार्नी में लगे मूल आवंटी के फोटो पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस फोटो में आवंटी की उम्र कम लग रही है जबकि आवंटी की उम्र ज्यादा है। यहां भी परिषद के बाबुओं ने खेल कर दिया। इस नोटिस पर मूल आवंटी का पता न मिलने का नोट लिखते हुए इसे दोबारा संपत्ति कार्यालय दाखिल कर दिया गया।

पॉवर ऑफ अटर्नी के माध्यम से सरधना निवासी मुकेश कुमार ने दावा किया कि यह आवास उसके नाम कर दिया जाए लेकिन मामले की जांच की गई तो पॉवर ऑफ अटर्नी भी फर्जी पाई गई। लेकिन मामले की जांच कर रहे विभाग के बाबू मनोहर ने इस मामले में संपत्ति को बेनामी संपत्ति बताते हुए नाम करने के लिए 25 लाख रुपए रिश्वत की मांग की। यह पूरी डीलिंग फोन पर हुई जो कि रिकार्ड की जा रही थी। इस डील में 25 लाख रुपए पर बात ना बनने पर डील कैंसिल कर दी गई और रिश्वत की ऑडियो वायरल कर दी गई।

बड़ी बात तो ये है कि ऑडियो में मनोहर बाबू ने मुकेश से बात करते हुए कहा कि संपत्ति 50 लाख से अधिक की है इसलिए इसको नाम करने के लिए 25 लाख रुपए लगेंगे नही तो संपत्ति बेनामी लिस्ट में डाल कर नीलाम कर दी जाएगी। इस पर मुकेश ने भी संपत्ति अधिकारी को भुगतने की धमकी देते हुए मामला जोनल के स्तर से निपटाने को कहकर फोन काट दिया। 

वहीं हमारे कैमरे पर भी रिश्वतखोर मनोहर बाबू ने अपना गुनाह क़बूल करते हुए कहा कि वह आदमी मुझ पर गलत तरीके से काम कराने के लिए दवाब बना रहा था रोज मेरे घर आकर बैठ जाता था इसलिए मैने उसे टालने के लिए बोल दिया कि पैसे लगेंगे।

वहीं इस मामले में जब संपत्ति अधिकारी नरेश बाबू से बात की तो वह मनोहर बाबू को बचाते हुए नजर आए और कहा कि उस वक्त हम 3 महीने की छुट्टी पर थे तो मुकेश नाम के इस व्यक्ति का फोन हमारे पास भी आया था तो हमने छुट्टी पर होने की बात कहते हुए उसको टाल दिया । लेकिन अगर मनोहर बाबू उनके नाम से पैसे मांग रहे हैं तो इसमें उनका यानी नरेश बाबू का कोई दोष। नहीं लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आप अपने नाम से पैसे मांगने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे तो उन्होंने जो जवाब दिया उसको सुनकर कहीं ना कहीं नरेश बाबू की भी इस मामले में पूरी संलिप्तता नजर आ रही है ।

नरेश बाबू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो हम मनोहर बाबू को डांट डपट देंगे लेकिन कार्यवाही तो मुख्यालय ही करेगा। नरेश बाबू के माथे का पसीना यह जाहिर कर रहा है कि इस रिश्वतखोरी में नरेश बाबू का भी कहीं ना कहीं रोल तो जरूर है। हालांकि नरेश बाबू ने फिर डीलर मुकेश की फोटो भी अपने मोबाइल में दिखाई और कहा कि यह डीलर सीएम योगी जी के साथ अपनी फोटो दिखा कर नरेश बाबू पर रॉब गालिब कर कर रहा था।

आवास विकास में बेनामी संपत्ति के बंदरबांट का यह कोई नया मामला नही है इससे पहले भी आवास विकास के आला अधिकारियों पर बेनामी संपत्ति के गलत तरीकों से बिक्री के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस मामले में मामला पूरी तरह सामने आने के बाद भी जिलाधिकारी अनिल धींगड़ा ने मनोहर बाबू की गिरफ्तारी और संपत्ति अधिकारी नरेश बाबू पर जांच के आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद नौचन्दी थाना पुलिस ने आरोपी मनोहर को गिरफ़्तार कर लिया है और जेल भेजने की तैयारी कर रही है।

(रिपोर्ट- प्रदीप शर्मा, मेरठ)

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