उत्तर प्रदेश में इस बार स्थानीय निकाय चुनाव (Nikay Chunav) को लेकर बीजेपी (BJP) अपनी बदली हुई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में है. पहली बार बीजेपी ने मुस्लिम समाज को इतनी बड़ी संख्या में टिकट (Muslim Candidate) दिया है. पहले चरण के लिए अब तक तकरीबन ढाई सौ मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारे हैं, इनमें नगर निगम में पार्षद के उम्मीदवार नगर पालिका नगर पंचायत में अध्यक्ष के उम्मीदवार और उसके अलावा वहां के सभासद के उम्मीदवार भी शामिल है.
बीजेपी सबका साथ सबका विकास की जो बात करती है, इस बार टिकट देने में भी उसने कहीं न कहीं इसे साबित करने की कोशिश की है. बीजेपी बीते कुछ समय से लगातार मुस्लिम समाज को अपने साथ लाने में जुटी है और हाल ही में जो पसमांदा सम्मेलन हुए उसे भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल पार्टी का फोकस अब पसमांदा समाज पर है, क्योंकि यूपी में 2024 के लिए बीजेपी ने मिशन 80 का लक्ष्य रखा है और उसे पता है कि बिना पसमांदा समाज के साथ आए यह संभव नहीं है, इसीलिए इस बार स्थानीय निकाय के चुनाव में भी बीजेपी ने अल्पसंख्यक समुदाय को दिल खोलकर टिकट दिया है.
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पहली बार बड़ी संख्या में उतारे मुस्लिम प्रत्याशी
पहली बार इस नगरीय चुनाव में ऐसा हुआ है जब बीजेपी ने तकरीबन ढाई सौ मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं इनमें प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, झांसी, आगरा, फिरोजाबाद और मथुरा नगर निगम शामिल है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर निगम में भी बीजेपी ने 4 वार्ड में मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्षद का टिकट दिया है तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में भी पार्षद का टिकट मुस्लिम समाज के लोगों को दिया गया है, इसी तरह लखनऊ, झांसी, आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा में भी बीजेपी ने अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों को उतारा है.
दरअसल, इस बार निकाय चुनाव में बसपा ने 10 नगर निगमों में से 6 पर मुस्लिम प्रत्याशी मेयर पद के लिए उतारे हैं, ऐसे में बीजेपी ने भी तकरीबन ढाई सौ मुस्लिम उम्मीदवार इस निकाय चुनाव के पहले चरण में घोषित किए हैं, वहीं समाजवादी पार्टी की भी नजर कहीं न कहीं मुस्लिम वोट बैंक पर है और इसीलिए पार्टी भी लगातार मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार रही है, लेकिन बीजेपी का कहना है कि कि दूसरे दल केवल उन्हें डराने का काम करते हैं जबकि बीजेपी ने अल्पसंख्यक समाज को आगे ले जाने का काम किया है.
अगर नगर पालिका और नगर पंचायतों की बात करें तो फिरोजाबाद नगर पंचायत में लखनऊ की नगर पंचायतों में अमेठी नगर पंचायत में रामपुर में मुरादाबाद मंडल में अमरोहा में तमाम जगहों पर बीजेपी ने इस बार नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ साथ वहां के सभासदों के टिकट भी मुस्लिम समाज को दिए हैं.
भाजपा की रणनीति से सपा-बसपा को होगा नुकसान
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्च के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि अभी दूसरे चरण के लिए भी तमाम ऐसे जिले हैं जहां पर बीजेपी अल्पसंख्यक समाज से आने वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बनाएगी और ऐसे में ये संख्या बढ़कर 400 से भी ज्यादा हो सकती है. अगर बीते चुनाव की बात करें जो 2017 में हुए थे तब पूरे प्रदेश में तकरीबन सौ के आसपास ही मुस्लिम उम्मीदवार पार्टी ने उतारे थे।
लेकिन इस बार जिस तरह से बीजेपी पसमांदा समाज पर फोकस कर रही है यह उसी का असर है कि इतनी बड़ी संख्या में बीजेपी ने कहीं ना कहीं मुस्लिम कैंडिडेट के लिए अपने दरवाजे खोलें हैं. बीजेपी जो सबका साथ सबका विकास का नारा देती है इसके जरिये इस बार सपा और बसपा के मुस्लिम वोट बैंक की आस को तोड़ने में भी वो जुटी है.
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