योगी सरकार में यूपी विधानमंडल का बजट सत्र (UP Budget) कई इतिहास रचने जा रहा है। 20 फरवरी से शुरू हो रहा यह सत्र सदन के नियमों के बदलाव का गवाह बनेगा। सत्र के दौरान यूपी विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियमावली का संशोधित ड्राफ्ट चर्चा के लिए पेश होगा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। इसी सत्र से विधानसभा में संसद की तर्ज पर सर्वश्रेष्ठ विधायक के चयन पर भी काम शुरू होगा।
विधानसभा सचिवालय के मुताबिक विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। संभावना है कि एक-दो दिन में इसे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया जाए। ड्राफ्ट को 28 फरवरी को सदन में रखे जाने की संभावना है। सदन में ड्राफ्ट पर चर्चा होगी और जो महत्वपूर्ण सुझाव आएंगे, उन्हें जोड़ते हुए नियमावली को मंजूरी दी जाएगी। विधानसभा सचिवालय इसकी अधिसूचना जारी करेगा और इसी के साथ विधानसभा के कई पुराने नियम खत्म हो जाएंगे और कई नए नियम लागू हो जाएंगे। यूपी की विधानसभा में ई-विधान लागू होने के बाद से छह दशक से अधिक पुरानी प्रक्रिया और कार्य संचालन की नियमावली को बदले जाने की जरूरत महसूस की जा रही थी।
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ये होंगे बदलाव
पहले मिल जाएंगे प्रश्नों के उत्तर: अभी तक सदन में प्रश्न पेश किए जाने के बाद ही उत्तर मिलते थे। नई नियमावली लागू होने के बाद सुबह साढ़े दस बजे तक उस दिन के अजेंडे के सभी प्रश्नों के उत्तर विधायकों के टैबलेट पर मौजूद होंगे। साथ ही नियम बनाया जा रहा है कि तारांकित प्रश्न पर जब तक बहुत जरूरी न हो, अधिकतम दो ही अनुपूरक लिए जाएंगे।
नोटिस पीरियड सात दिन का होगा: एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पुरानी नियमावली में सदन की बैठक को लेकर नोटिस पीरियड चौदह दिन है। लेकिन, अब संचार के तेज माध्यम हैं। ऐसे में नोटिस पीरियड सात दिन का किया जा रहा है।
सरल होगी भाषा: सूत्रों के मुताबिक संशोधित नियमावली की भाषा भी पहले से काफी सरल की जा रही है, ताकि नए विधायकों को नियम समझने में दिक्कत न हो। विधानसभा प्रश्नोत्तर के नियमों में भी बदलाव किया गया है।
डिजिटल गैलरी का होगा उद्घाटन
यूपी विधानसभा में डिजिटल गैलरी तैयार की गई है। इस गैलरी का उद्घाटन भी बजट सत्र में होगा। यह गैलरी विधान भवन के गेट नंबर दो के पास स्थापित की गई है। गैलरी में अब तक की विधानमंडल की कार्यवाही डिजिटल प्लैटफॉर्म पर मिलेगी। डिजिटल गैलरी में पांच 5 जनवरी, 1887 से उत्तर पश्चिमी प्रांत और अवध विधान परिषद के रूप में स्थापित किए जाने के इतिहास को भी दर्शाया गया है। गैलरी के जरिए बताया जाएगा कि 1861 तक सभी विधायी कार्य ब्रिटेन की संसद के हाथों में होता था।
पांच जनवरी, 1887 को नौ नाम निर्देशित सदस्यों के साथ लेजिस्लेटिव काउंसिल (विधान परिषद) का गठन हुआ, जिसका नाम ‘नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेज ऐंड अवध लेजिस्लेटिव काउंसिल’ था। इसकी पहली बैठक 8 जनवरी, 1887 को इलाहाबाद के थार्न हिल मेमोरियल हॉल में हुई थी। यह भी जानकारी होगी कि अंग्रेजों के शासन काल में ही देश के पांच और राज्यों सहित इस राज्य का विधान मंडल भी एक सदन से द्विसदनीय हो गया था। इन्हें लेजिस्टलेटिव असेंबली (विधानसभा) और लेजिस्लेटिव काउंसिल (विधानपरिषद) नाम दिया गया था।
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