UP By-elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। खबरों के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रहा शीत युद्ध खत्म नहीं हुआ है। पार्टी हाईकमान और आरएसएस द्वारा दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिशों के बीच अब भाजपा आगामी विधानसभा उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
लोकसभा में पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में आगामी 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के मिल्कीपुर समेत दो सीटों की कमान खुद संभाल ली है। कार्यभार संभालने के एक दिन बाद ही वह अयोध्या पहुंच गए।
राम मंदिर आंदोलन का केंद्र रही अयोध्या संसदीय सीट समाजवादी पार्टी से हारने के बाद मिल्कीपुर सीट पर जीत पार्टी के लिए काफी अहम है। उपचुनाव की तैयारियों के लिए मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम एक साथ सोमवार को उपचुनाव की तैयारियों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक एक साथ आए।
10 सीटों पर शीर्ष नेताओं को किया गया तैनात
लखनऊ स्थित सीएम आवास पर उपचुनाव की तैयारियों को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री शामिल हुए। जिसमें सीएम, दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री को दो-दो विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों डिप्टी सीएम को दो-दो सीटों की जिम्मेदारी पार्टी ने 10 विधानसभा क्षेत्रों में दमदार प्रदर्शन के लिए अपने शीर्ष नेताओं को तैनात किया है। दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को दो-दो विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है।
दोनों डिप्टी सीएम को मिली ये जिम्मेदारी
केशव मौर्य को फूलपुर और मझवां में जीत की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि ब्रजेश पाठक सीसामऊ और करहल की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसी तरह यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को मीरापुर और कुंदरकी की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह खैर और गाजियाबाद का जिम्मा संभालेंगे।
इसे सरकार और संगठन के शीर्ष नेताओं की एकजुटता को दर्शाने की पार्टी की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है। पार्टी यह दिखाना चाहती है कि शीर्ष नेताओं में कोई मतभेद नहीं है और सभी उपचुनाव जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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