नई दिल्ली — महाराष्ट्र के पुणे की एक यूनिवर्सिटी ने एक अजीबो गरीब व हैरान करने वाला फैसला सुनाया है.दरअसल पूणे यूनिवर्सिटी ने पत्र जारी किया है जिसमे लिखा है कि सिर्फ शाकाहारी और नशा न करने वाले छात्रों को ही गोल्ड मेडल दिया जाएगा. पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के सर्कुलर के अनुसार 10 ऐसी शर्तें तय की गई हैं जो महर्षि कीर्तंकर शेलार मामा गोल्ड मेडल के लिए छात्र की पात्रता तय करेंगे.
इस गोल्ड मेडल को पाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो शर्त रखी है उसमें से एक में ये साफ तौर पर कहा गया है कि मेडल की पात्रता के लिए केवल शाकाहारी और नशा न करने वाले छात्र ही अप्लाई कर सकते हैं. इसके साथ ही इस सर्कुलर में ये भी कहा गया है जो छात्र दसवीं, बारहवीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई में प्रथम श्रेणी या दूसरी श्रेणी के साथ पास हुआ वो ही आवेदन कर सकता है.
साथ ही में ये भी लिखा गया कि मेडल के लिए अप्लाई करने वाले छात्र को भारतीय सभ्यता-संस्कृति में भी रुचि होनी चाहिए. वहीं एक अन्य प्वाइंट के मुताबिक, योग, प्राणायाम और ध्यान करने वाले छात्र को इस मेडल के लिए प्राथमिकता दी जाएगी. वही इस फरमान के सामने आने के बाद से ही इसकी आलोचना हो रही है. सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.
वही इस फैसले की आलोचना करते हुए शिवसेना के युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने भी कहा कि कोई क्या खाए क्या ना खाए ये उसका अपना फैसला होना चाहिए. यूनिवर्सिटी को केवल पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.इसके अलावा एनसीपी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर कहा, ‘पुणे यूनिवर्सिटी का फैसले को निराशाजनक और चौंकाने वाला बताया है.