स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच को रोकने के हर संभव प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए शौचालयों का निर्माण तो किया ही जा रहा है साथ में जनजागृति अभियान भी चलाया जा रहा है। इसी के तहत मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बहुओं की खुले में शौच की प्रवृत्ति को रोकने के लिए ‘सास की लोटा दौड़’ आयोजित की गई।
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दरअसल मध्य प्रदेश में अब भी कई इलाके ऐसे है जहां के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच जाती है। ऐसी बहुओं को जागरूक बनाने के लिए भोपाल से 25 किमी दूर फंदा कला गांव में ‘घर की इज्जत’ (टॉयलेट) के लिए सास की लोटा दौड़ हुई। इस प्रतियोगिता में 18 सास ने दौड़ लगाईं, वहीं दर्शक दीर्घा में बहुएं थी। 50 मीटर की रेस भले ही सास के लिए थी, लेकिन सबक बहुओं को मिला।
इस लोटा दौड़ में हिस्सा लेने वाली 50 से 60 साल उम्र की बुजुर्ग सांस थी और दर्शक बनी बहुएं। 50 मीटर दौड़ने के बाद सांस ने विनिंग प्वाइंट पर पानी से भरा लोटा फेंका और संदेश दिया कि बहुएं जिंदगी भर खुले में शौच न जाएं। वे ‘इज्जत घर’ में ही शौच करें। सास बोलीं कि हम तो जिंदगी भर शौच के लिए जंगल और खेतों में भागते रहे। बहुएं ऐसा न करें। खुद तो टॉयलेट में शौच करें और परिजनों को भी इसके लिए प्रेरित करें। बहुओं ने भी वादा किया कि वे हमेशा के लिए लोटा रख ‘इज्जत घर’ (टॉयलेट) में ही शौच करेंगी।
भोपाल में सभी 187 ग्राम पंचायतें ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है। बावजूद कई गांवों में कुछ महिलाएं खुले में शौच जाना पसंद कर रही हैं। फंदा गांव में भी ऐसी स्थिति है। इसलिए यहां यह आयोजन हुआ। जिला पंचायत सीईओ विकास मिश्रा ने बताया, “फंदा गांव में दौड़ के पीछे संदेश सिर्फ इतना है कि अब कोई भी खुले में शौच करने न जाएं। चाहे वह महिला-पुरुष हो या बच्चे। सभी टॉयलेट का उपयोग करें। ”
गांव के बुजुर्ग राम सिंह ने बताया, “गांव में जब से टॉयलेट बने हैं, उनका ही उपयोग कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन सबको प्रेरित करते हैं।”सास रेशमबाई का कहना है कि, “खुले में शौच करने जाने में शमिर्ंदगी होती है। दौड़ लगाकर बहू से वादा लिया कि कभी भी खुले में शौच के लिए न जाएं। दूसरों को भी प्रेरित करें।” जिला पंचायत सीईओ विकास मिश्रा ने बताया कि “कोरोना के दौरान गांवों में सर्वे कराया गया था। इसमें यह देखने में आया कि घर में बहू बोल रही है लेकिन सास चुप है। दोनों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम कम दिखाई दिया।
कुछ मामलों में सास बोलती हैं तो बहू चुप रहती है, लेकिन मां-बेटी के मामले में ऐसा नहीं है। दोनों में बराबर प्रेम दिखा। सास-बहू के बीच की झिझक दूर करने और दोनों में संवाद कायम रखने के लिए इस दौड़ को कराने का आइडिया आया। दूसरी ओर कई महिलाएं खुले में शौच करने जाती हैं। इसलिए सास होने के नाते उन्होंने बहुओं को समझाईश दी कि खुले में शौच न जाएं। अन्य लोगों को भी यही सीख दी गई। ताकि कोई भी खुले में शौच करने न जाए।”
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