न्यूज डेस्क — महाराष्ट्र का ऐतिहासिक शिवाजी पार्क गुरुवार नए राजनीतिक युग का गवाह बना। उद्धव ठाकरे द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही महाराष्ट्र में उद्धव राज शुरु हो गया। वहीं उद्धव के रूप में ठाकरे परिवार से पहली बार कोई सीएम बना।दरअसल गुरुवार को उद्धव समेत तीनों पार्टियों से 2-2 नेताओं ने शपथ ली हालांकि सबकी नजर अजित पवार पर रही।
दरअसल काफी जद्दोजहद और चर्चाओं के बाद महा विकास अघाड़ी में जो फॉर्म्युला तय हुआ, उसके मुताबिक सिर्फ एक डिप्टी सीएम होगा जो एनसीपी के कोटे में गया है। कांग्रेस के खाते में स्पीकर का अहम पद आया है। पहले ऐसी अटकलें थीं कि एनसीपी और कांग्रेस दोनों से एक-एक डिप्टी सीएम होगा और दोनों ही दल स्पीकर पद पर दावा ठोक रहे थे।पहले खबर थी कि एनसीपी नेता अजित पवार उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं।
बता दें कि उद्धव ठाकरे के साथ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो मंत्रियों ने भी शपथ ली। शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई तो एनसीपी से जयंत पाटिल और छगन भुजबल ने भी मंत्री पद की शपथ ली।वहीं कांग्रेस की तरफ से महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहब थोराट और नितिन राउत ने उद्धव कैबिनेट के मंत्री के रूप में शपथ ली।
उद्धव के सामने बड़ी चुनौती
उद्धव ठाकरे के शपथ लेने के बाद अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती त्रिपक्षीय गठबंधन (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) को साधना है। एनसीपी और कांग्रेस के बीच भले ही हर तरह के समझौते की बात कही जा रही हो लेकिन अंदरखाने अभी भी बहुत कुछ चल रहा है। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि गुरुवार को हुई बैठक में भी सभी पार्टियों ने गृह, शहरी विकास, राजस्व, हाउसिंग एंड कोऑपरेशन मंत्रालयों पर अपना दावा ठोका है। बताया जाता है कि राज्य के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने स्पीकर का पद लेने से इनकार कर दिया है। इसके बाद कांग्रेस ने डिप्टी सीएम और एक अतिरिक्त मंत्री पद की मांग रखी थी।
क्या होगी आदित्य ठाकरे की भूमिका?
उद्धव ने इस बार के विधानसभा चुनाव में शिवसेना की वर्षों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार ठाकरे परिवार से अगर किसी को चुनाव मैदान में उतारा तो वह थे उनके बेटे आदित्य ठाकरे। उन्होंने जीत भी हासिल की और उन्हें शिवसेना ने चुनाव बाद बतौर सीएम प्रॉजेक्ट करने की कोशिश की। हालांकि, बदली परिस्थितियों में खुद उद्धव को सीएम पोस्ट स्वीकार करनी पड़ी, जिसके लिए पहले वह अनिच्छुक थे। ऐसे में आदित्य ठाकरे की भूमिका क्या होगी, इसे भी लेकर काफी दिलचस्पी है। आदित्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया लेकिन पार्टी में उनकी भूमिका बढ़ जाएगी। पिता उद्धव सरकार का कामकाज संभालेंगे तो बेटे आदित्य संगठन से जुड़े मसलों को हल करेंगे।