उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में चल रहे फर्जीवाड़े का एक-एक कर नए खुलासे हो रहे है। एक तरफ जहां बेसिक शिक्षा विभाग में अनामिका शुक्ला के नाम पर कई जिलों में फर्जी टीचर की नियुक्ति हुई थी वहीं अब पशुपालन विभाग में भी फर्जीवाड़े पकड़ा गया है।
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पशुपालन विभाग में आटे की सप्लाई के नाम पर करोड़ों का वारा-न्यारा किया गया। वहीं एटीएफ की जांच में दो आईपीएस अधिकारी फंस गए हैं। इनके खिलाफ साक्ष्य मिलने पर कार्रवाई करने की संस्तुति करते हुए शासन को पत्र लिखा गया है।
फर्जीवाड़े में थी अहम भूमिका…
बता दें कि इस फर्जीवाड़े में आईपीएस अधिकारी अरविन्द सेन व आईपीएस डीसी दुबे की संलिप्तता पाई गई हैं। हालांकि आईपीएस डीसी दुबे की पशुपालन विभाग के फर्जीवाड़े में कोई भूमिका नहीं मिली है लेकिन इसके आरोपियों को अन्य ठेके दिलाने में उनकी मिलीभगत सामने आई है। यही नहीं दावा या भी किया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े में अभी कुछ और लोगों के नाम सामने आएंगे। उधर शासन में यह पत्र पहुंचते ही हड़कम्प मच गया है।
एसटीएफ ने किया खुलासा…
एसटीएफ के मुताबिक पीड़ित मंजीत ने CBCID के तत्कालीन एसपी (अब डीआईजी) पर इन लोगों से मिलीभगत कर धमकाने का आरोप लगाया था। एसटीएफ की पड़ताल में साफ हुआ कि तब CBCID में एसपी अरविन्द सेन थे। अरविन्द सेन इस समय डीआईजी हैं और पीएसी सेक्टर आगरा में तैनात हैं। जांच में इन पर धमकाने का आरोप सही पाया गया।
ठेके दिलाने में फंसे IPS डीसी दुबे
दरअसल गिरफ्तार लोगों ने सचिवालय में पशुपालन विभाग का फर्जी दफ्तर बनाकर जो फर्जीवाड़ा किया, उससे अन्य अधिकारी और एसटीएफ भी हैरान रह गई थी। मामले के तूल पकड़ने पर शासन ने जांच जल्दी पूरी कर सभी आरोपियों को पकड़ने को कहा था। इस जांच में ही सामने आया कि गिरफ्तार आरोपियों के एक और IPS डीसी दुबे से सम्बन्ध हैं। ये भी इस समय डीआईजी हो चुके हैं और रूल्स एंड मैनुअल्स में तैनात हैं। शासन के सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ से रिपोर्ट मिली है। जल्दी ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी…
पशुपालन विभाग के इस फर्जीवाड़े में पशुधन राज्यमंत्री जयप्रताप निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार देव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, रूपक राय और उमाशंकर को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों के खिलाफ इंदौर के व्यापारी मंजीत भाटिया ने शासन में शिकायत की थी।
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