एटा–कहते है कि भगवान के बाद जान बचाने वाला दूसरा भगवान डॉक्टर होता है लेकिन जनपद एटा में दो ऐसे भाई है जो डॉक्टर नहीं है बल्कि पंचर जोड़ने वाले व्यक्ति है फिर भी अब तक 335 लोगो की जान बचा चुके है।
जनपद एटा के आगरा रोड पर हजारा नहर के कमसान पुल दोनों भाई मोटरसाइकिल और साइकिल के पंचर लगाने का काम करते है, लेकिन नहर किनारे गाँव के रहने की वजह से नहर में तैरना भी अच्छी तरह जानते है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति नहर में कूद कर आत्म हत्या करने का प्रयास करता है या कोई हादसा हो जाता है तो ये दोनों भाई अपनी दुकान बंद करके और अपनी जान जोखिम में डाल कर उसे नहर में कूद कर बचा लेते है। दोनों भाइयो की माने तो इन दोनों भाई 2003 से अब तक 335 लोगो की जान बचा चुके है और 20 लोगो के शव निकाल चुके है।
आपको बता दे जनपद एटा थाना कोतवाली क्षेत्र के आगरा रोड पर दो हाजरा नहर है। इस जगह को कमसान का पुल कहा जाता है। यदि हम ये कहे कि कमसान का पुल नहीं ये शमसान का पुल है तो गलत नहीं होगा। यह पुल हजारो लोगो की जान ले चुका है। इस पुल पर दो भाई रवेंद्र सिंह और जुगेंद्र सिंह अपनी जीविका चलाने के लिए पंचर की दूकान चलाते है। वैसे तो ये दोनों भाई जनपद फ़िरोज़ाबाद के तहसील जसराना क्षेत्र के झाल गोपालपुर गांव के रहने वाले है। जो इस स्थान से करीब आठ किलोमीटर दूर है। लेकिन भूमहीन होने के कारण अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए ये दोनों भाई हजारा नहर पर अलग अलग पंचर की दुकान करते है। बताया जाता है दोनों भाइयो के चार -चार बच्चे है। लेकिन जब कोई दोनों नहरों में से किसी में नहर में कूदता है तो ये दोनों भाई मिलकर उसकी जान बचा लेते है।
इतना ही नहीं इन की माने तो जनपद एटा और फ़िरोज़ाबाद में जब कोई हादसा होता है तो जिला प्रशासन इन्ही दोनों भाइयो को बुलाता है। तो ये दोनों भाई अपनी अपनी पंचर की दुकान को बंद करके जाते है। लेकिन आज तक जिला प्रशासन ने इन दोनों भाइयो को एक रुपये की मदद भी नहीं की है। जब ये दोनों भाई अपनी बाइक में पेट्रोल खर्च करके भी जाते है। लोगो की माने तो ये दोनों भाई बहुत गरीब है और इन पर एक बीघा भी खेती की जमीन नहीं है। बताया जाता है कि 2012 में जब एक बस सुन्ना नहर में चली गयी थी तब भी इन्ही दोनों भाइयो ने करीब एक दर्जन लोगो की जान बचायी थी और उसके बाद 2013 में भी एक टाटा सूमो कार को नहर चले जाने के बाद भी दो लोगो को जिन्दा बचाया था।
वही दोनों भाइयो की माने तो कई बार तो उनकी खुद की जान खतरे में पड़ गयी। एक बार तो इस हजारा नहर ने एक व्यक्ति को निकालने के समय मगरमच्छ ने हमला बोल दिया था ; तब मुश्किल से अपनी जान बचायी थी। लेकिन प्रशासन के ढीले रवैये की बजह से आज तक जिला प्रशासन ने इनके लिए कोई भी आर्थिक मदद की नहीं सोची है। इसलिए दोनों भाईयो ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा है कि हमें भी कुछ आर्थिक मदद दी जाय और हमारे लिए भी रहने के लिए कोई जगह दी जाय जिससे हम अपने बच्चो का पालन पोषण अच्छी तरह से कर सके।
(रिपोर्ट – आर. बी. द्विवेदी , एटा )