न्यूज डेस्क –एक ओर जहां देश का प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों और नेताओं को दलितो के घर चौपाल लगाने वा भोजन करने का फरमान जारी करता है।वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के प्रशासनिक आधिकारी ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर रहे है कि जिस पर सवाल उठना लाजमी है।
दरअसल मध्य प्रदेश के एसडीएम ने दलितों को लेकर एक तुगलकी फरमान जारी करते हुए कहा है कि दलित परिवार को शादी या बारात के लिए 3 दिन पहले पलिस से मंजूरी लेनी होगी।बता दें कि मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के महिदपुर एसडीएम ने तहसील के सभी पंचायतों के सरपंच सचिव को आदेश दिया है कि गांव में यदि किसी भी दलित परिवार में शादी हो या दलित बारात निकाले तो 3 दिन पहले थाने में उसकी जानकारी दें और पुलिस हेड कांस्टेबल से उसकी लिखित स्वीकृति लें।
वहीं एसडीएम के इस आदेश के बाद दलित संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है और एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।जबकि उज्जैन कलेक्टर ने इस तुगलकी फरमान को बदलने को कहा है। दरअसल 30 अप्रैल को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में गोवर्द्धनपुरा गांव में एक दलित व्यक्ति को अपनी बारात लाने के दौरान घोड़े पर सवारी करने की वजह से पीटा गया और उसी गांव के कुछ अन्य लोगों ने उसे घोड़े से उतरने के लिए मजबूर कर दिया।
हालांकि पुलिस ने इस मामले में SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज कर सात लोगों को गिरफ्तार किया। गौरतलब है कि कुछ समय पहले गुजरात में भी घोड़ा चढ़ने की वजह से एक दलित युवक के मारे जाने की खबर आई थी।