प्रतापगढ़ — मेडिकल कॉलेज बनने की अभी कवायद ही शुरू हुई है कि विरोध शुरू हो गया। जिला अस्पताल के आसपास के दवा व्यवसायियों के साथ ही अन्य व्यवसाई भी मेडिकल कॉलेज बनने के विरोध में दुकाने बन्द कर सड़क पर उतर आए और नारेबाजी करते हुए दुकाने बन्द करवाने लगे,
क्योकि इनके सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो सकता है। इस दौरान शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई। अपना विरोध दर्ज कराने सीएमओ कार्यालय पहुचे दवा व्यापारी तो सीएमओ नदारद रहे कार्यालय में ताला लटकता मिला।
बता दे कि जनपद वासियो की वर्षो पुरानी मांग चली आ रही थी कि जिले में एक अदद मेडिकल कॉलेज खोला जाना चाहिए। जिसपर क्षेत्रीय संसद हरिबंश सिह ने केंद्र सरकार में प्रस्ताव रखा और केंद्र से मंजूरी के साथ ही पहली किस्त भी रिलीज हो गया। मेडिकल कॉलेज दो हिस्सों में बनना प्रस्तावित है जिला अस्पताल पुरूष और महिला को मिलाकर ओपीडी समेत अस्पताल बनाया जाएगा तो वही अस्पताल से तीन किमी की दूरी पर शैक्षणिक और हॉस्टल का परिसर बनाया जाना प्रस्तावित है।
अस्पताल के सामने की सड़क काफी कंजेस्टेड है बाउंड्री वाल के सहारे तमाम दुकाने है जिसमे मेडिकल स्टोर व अन्य दुकाने संचालित होती है जिन्हें तोड़े जाने की बाते सामने आ रही है। यहा हर वक्त जाम लगा रहता है जिसके चलते हादसों में घायल लोग जान तक गवा बैठते है। दुकानों के टूटने को लेकर दुकानदारों में खास आक्रोश व्याप्त है जो आज सड़क पर नजर आया।
दरअसल ये कोई पहला मामला नही है जब मेडिकल कॉलेज के विरोध हो रहा है पहले भी जिले में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री शिवकांत ओझा के प्रयास से केरल की एक ट्रस्ट ने मेडिकल सिटी बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया था लेकिन भारी विरोध के चलते ये प्रोजेक्ट राजनीति की भेंट चढ़ गया था। अब जाकर जनभावनाओं के अनुरूप एक बार फिर मेडिकल कॉलेज की आस बंधी है लेकिन राजनीति शुरू हो गई।
जिले में दुर्घटनाओं में घायल और गम्भीर रूप से बीमार लोग जो प्रयागराज रेफर होते है उनमें ज्यादातर लोग जान गवा बैठते अस्पताल पहुचने से पहले। जिला अस्पताल में कोई सुविधा न होने के चलते ये सिर्फ रेफ़ल पॉइन्ट बन कर रह गया है। अब देखना होगा कि जनभावनाओं का कितना सम्मान हो पाता है या फिर इस बार भी मेडिकल कालेज राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।
(रिपोर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)