न्यूज डेस्क-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लोग किस कदर प्यार करते थे, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनके विचारों से प्रभावित होकर लोगों ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उनका मंदिर बना दिया। मंदिर में प्रतिदिन भजन-आरती के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर में पुजारी भी नियुक्त है।
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर शहर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म एक पंडित परिवार में हुआ था। पिता पेशे से शिक्षक थे। यहीं वो अच्छे वक्ता बने और यहीं से कविता लिखने के लिए कलम थामी। इसी शहर में है उनका स्कूल और मंदिर है।उनके माता-पिता यहां शिंदे की छावनी इलाके में रहा करते थे। ग्वालियर के चप्पे-चप्पे से अटल जी की यादे जुड़ी हुई है। उन्हीं में से एक है ग्वालियर का गोरखी स्कूल।
अटल बिहारी वाजपेयी ने मिडिल स्कूल की पढ़ाई का सफर इसी स्कूल से शुरू किया। इस स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को संभाल के रखा गया है जब अटलजी ने 6वीं क्लास में यहां एडमिशन लिया था।
इस स्कूल के मौजूदा स्टाफ या बच्चों को तो उनके साथ पढ़ने या पढ़ाने का मौका नहीं मिला। लेकिन उनकी महान शख्सियत के किस्सों और बातों से मानो ये रोज़ मिलते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से इस स्कूल से जुड़ा हर शख़्स ग़मज़दा है. स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
ग्वालियर के लोगों में अपने प्रिय नेता के प्रति कितनी श्रद्धा और प्यार है इसका गवाह यहां बना एक मंदिर है। लोगों के लिए वो किसी भगवान से कम नहीं थे। उनके एक फैन ने अटलजी का मंदिर बनवाया। ये मंदिर सत्य नारायण की टेकरी के पास बना है।
मंदिर में रोज़ पूजा-पाठ और भजन कीर्तन होते हैं। ये देश में अटल जी का इकलौता मंदिर है। वैसे तो लोग रोज़ ही इस मंदिर में आते-जाते हैं, लेकिन उनके निधन के बाद अब भारी कदमों और भरे दिल से पहुंच रहे हैं।