बुलंदशहर — यूपी के बुलन्दशहर में शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी को दोहराने वाले बुलन्दशहर के शाहजहां फैजुल हसन कादरी का आज अंत हो गया।
फैजुल हसन कादरी को मरहूम पत्नी की याद में बनवाये गये मिन्नी ताज में बेगम की कब्र के बराबर में ही खुद की बनायी गयी कब्र में हजारों नम आखों के बीच दफन किया गया।
दरअसल रिटायर्ड पोस्ट मास्टर फैजुल हसन कादरी और उनकी पत्नी तजमुल्ली बेगम की प्रेम कहानी देश भर में उस समय मशहूर हो गयी थी जब 80 साल की उम्र में फैजुल हसन कादरी ने अपनी पेंशन व संचित धन से पत्नी की याद में शाहजहां की तर्ज पर बुलन्दशहर के डिबाई में मिन्नी ताज महल बनवाया था।हालांकि बे औलाद होने के कारण उन्होने अपनी 4 बीघा जमीन सरकार को दे दी थी, जिस पर एक राजकीय कन्या इण्टर कालेज बनवाया गया है, लेकिन अब कादरी के परिजन स्कूल का नाम तजमुल्ली बेगम के नाम पर कराने की सरकार से मांग कर रहे है।
बता दें कि ये मिनी ताज महल बुलन्दशहर के डिबाई के कसेरकला में 3 साल पहले रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी ने बनवाया था, वो भी अपनी बेगम की याद में। दरअसल फैजुल हसन कादरी बे औलाद थे, लेकिन दोनो शाहजहां और मुमतज की तरह एक दुसरे से जीवन के 70 दशक पार करने के बाद भी बे पनाह मुहब्बत करते थे, यही वजह थी कि एक दिन तजमुल्ली के कहने पर फैजुल हसन कादरी ने पत्नी की याद में मिनी ताजमहल बनवाने का वायदा कर दिया था।
कुछ साल बाद तजमुल्ली का निधन हो गया तो मिनी ताज में ही दफन कर बराबर में अपनी भी कब्र तैयार करा दी थी। और लोगों से कह दिया था कि बेगम के बराबर में ही मुझे भी दफन किया जाये, बस फिर क्या था फैजुल हसन कादरी जीवन के 80 बसंत देखने के बाद 21 वीं सदी के शाहजहां कहलाये जाने लगे।
शुक्रवार को सडक हादसें में घायल होने के बाद एक प्राइवेट अस्पताल में फैजुल हसन कादरी की मौत हो गयी,शनिवार को कसेरकला में हजारों नम आंखों के बीच फैजुल हसन कादरी का जनाजा निकला और मरहूब बेगम की कब्र के बराबर में ही दफन कर दिया गया। अब फैजुल हसन कादरी के परिजन उनकी जमीन पर बनें राजकीय बालिका इण्टर कालेज का नाम तजमुल्ली बेगम के नाम पर कराने की मांग कर रहे है।
फैजुल हसन कादरी की दान की गयी जमीन पर ही राजकीय बालिका इण्टर कालेज बनवाया गया है, अपनी मेहनत की कमाई से बनाये मिनी ताज महल से मरहूम बेगम की कब्र के बराबर में दफन किया गया है।