हरदोई– जहां एक ओर केंद्र सरकार और सूबे की उत्तर प्रदेश सरकार गायों के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार में बैठे प्रशासनिक अमले के द्वारा निरीक्षण करके जाते ही प्रशासन ने गौशालाओं की तरफ से अपनी नजरें फेर ली। जिसका खामियाजा भोले – भाले निरीह पशुओं को उठाना पड़ रहा है।
हरदोई जिले के टड़ियावां विकास खंड के बहर गांव में ग्राम सभा क्षेत्र में पूर्व जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना के द्वारा एक पशु आश्रय साला का निर्माण कराया गया था। जिसमें शहर के कई सारे जानवर बंद किए गए थे जिला अधिकारी ने उस समय उनके लिए कॉफ़ी व्यवस्थाएं कराई थी लेकिन उनके ट्रांसफर होने के बाद प्रशासन का दुलार इन जानवरों के प्रति कम हो गया जिसका सीधा साधा उदाहरण गेट पर अंतिम सांसे ले रही वह गाय है जिसे अब कोई देखना तक नहीं चाहता आसपास के ग्रामीण बताते हैं यह तो केवल बानगी भर है इससे पहले कई जानवर मर चुके हैं लेकिन इस तरफ प्रशासन ने कभी देखा तक नहीं है अब पशु आश्रय साला मैं कुछ भी नहीं है यहां के जानवर बाहर निकाल दिए गए हैं इनके खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है अब यह सिर्फ आस पास खेत खा कर ही अपना पेट भर रहे हैं।
जिस क्षेत्र में यह पशु आश्रय शाला बनाई गई थी वह काफी विस्तृत क्षेत्र है जिसे चारों तरफ से बैरिकेटिंग लगा कर के भेज दिया गया था इस में काम करने वाले वन विभाग के माली हंसते हुए बताया कि बनाया तो बहुत सोच समझकर गया था लेकिन कि हम इधर कोई देखने तक नहीं आता जिसका परिणाम यह है कि जानवरों के लिए बनाया आश्रमशाला अब धीरे-धीरे उनकी कब्रगाह की शक्ल ले रहा है ग्रामीणों के मुताबिक कुछ दिनों तक यहां के प्रधान ने भी इनकी देखभाल की लेकिन फंड ना आने की वजह से उन्होंने भी इस आश्रिता साला की तरफ से आंखें मूंद ली है अब यह जानवर बीमार घायल और मरने के लिए बेबस हैं कई जानवर तो इससे पहले मर ही चुके हैं।
रिपोर्ट- सुनील अर्कवंशी, हरदोई