नई दिल्ली: संविधान के आर्टिकल 35 (A) की संवैधानिकता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है। आर्टिकल 35 (A) को खत्म करने की मांग को लेकर कोर्ट में 4 याचिकाएं दायर की गई हैं जिसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ सुनवाई करेगी। मुख्य याचिका को दिल्ली की एक गैरसरकारी संस्था ‘वी द सिटिजन्स’ ने 2014 में दायर किया था बाद में इसी तरह की 3 और याचिकाएं दायर हुईं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ जोड़ दिया।
आर्टिकल 35A भारतीय संविधान में एक प्रेंजिडेशल ऑर्डर के जरिए 1954 में जोड़ा गया था। यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां देता है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संविधान के उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है जो जम्मू-कश्मीर के बाहर के व्यक्ति से शादी करने वाली महिला को संपत्ति के अधिकार से वंचित करता है। इस तरह महिला को संपत्ति के अधिकार से वंचित करने वाला प्रावधान उसके बेटे पर भी लागू होता है।वकील बिमल रॉय के जरिए दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि अगर कोई महिला जम्मू-कश्मीर के बाहर के व्यक्ति से शादी करती है तो वह संपत्ति के अधिकार के साथ ही राज्य में रोजगार के अवसरों से भी वंचित हो जाती है। जम्मू-कश्मीर के अस्थायी निवासी प्रमाणपत्र धारक लोकसभा चुनाव में तो मतदान कर सकते हैं, लेकिन वे राज्य के स्थानीय चुनावों में मतदान नहीं कर सकते। दूसरी तरफ ‘वी द सिटिजन्स’ ने भी संविधान के आर्टिकल 35A को चुनौती दे रखी है।पश्चिमी पाकिस्तान से 1947 में बंटवारे के वक्त जम्मू-कश्मीर आए शरणार्थियों ने भी संविधान के अनुच्छेद 35A को सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि पश्चिमी पाकिस्तान से करीब 3 लाख शरणार्थी आए थे, लेकिन उनमें से जो लोग जम्मू-कश्मीर में बसे उन्हें अनुच्छेद 35A के तहत वह अधिकार नहीं मिले जो राज्य के मूल निवासियों को प्राप्त हैं। कश्मीरी पंडित समाज की महिला डॉक्टर चारु डब्ल्यू खन्ना ने भी कोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती दी है।