कानपुर कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे के इतने ताकतवर बनने से लेकर उसके अपराधों में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता समेत अन्य बिंदुओं पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की पड़ताल शुरू होने के साथ ही कई तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आ चुकी है।
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बिकरू गांव में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी ने जब ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं तो उनके हिस्से के राशन का घपला भी सामने आया। विकास दुबे के गुर्गे ग्रामीणों का सरकारी खाद्यान्न भी हड़प लेते थे। एसआइटी इस बिंदु पर भी छानबीन करेगी।दुर्दांत विकास दुबे ने पुलिस के अलावा राजस्व व आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से अपने साम्राज्य को आगे बढ़ाया था। एसआईटी पुलिस के अलावा कानपुर के तत्कालीन आबकारी व राजस्व अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारियों की भूमिका की सिलसिलेवार पड़ताल करेगी।
दरअसल, अधिकारियों व कर्मियों की संलिप्तता व काली कमाई में हिस्सेदारी की गणित से ही विकास दुबे ने अपने साम्राज्य की नींव रखी थी और उसकी इमारत को बढ़ाता चला गया था। सूत्रों के अनुसार ग्रामीणों ने उसके विरुद्ध पुलिस से अन्य विभागों से जुड़ी शिकायतें भी की थीं, लेकिन विकास की चौबेपुर थाने में पैठ इतनी गहरी थी कि उसके खिलाफ किसी जांच में कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई।एसआईटी जांच के दायरे में आने वाले अधिकारियों व कर्मियों से पूछताछ भी करेगी। एसआईटी के अधिकारी रविवार रात कानपुर से वापस आ गए थे।
माना जा रहा है कि दस्तावेजों के अध्ययन के बाद एसआईटी जल्द दोबारा कानपुर पहुंचेगी। ध्यान रहे, शासन ने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी में एडीजी हरिराम शर्मा व डीआईजी जे रवींद्र गौड को बतौर सदस्य शामिल किया है।आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे के काले कारोबार की जड़ें खंगालने के साथ ही एसआईटी उससे मददगार रहे दागी सरकारी अधिकारियों व कर्मियों के चेहरे बेनकाब करेगी। खासकर एक के बाद एक अपराध करने के बाद विकास दुबे व उसके गिरोह के सदस्य किस तरह पुलिस की मदद से कानूनी शिकंजे से बाहर आते रहे और उनकी जमानत तक रद नहीं कराई गई, इसके बड़े खेल भी उजागर होंगे। शासन ने एसआइटी से 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट तलब की है।