न्यूज डेस्क — केंद्र सरकार की ‘श्रम विरोधी नीतियों’ के खिलाफ बड़ी ट्रेड यूनियनों ने 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल बुलाई है. इन ट्रेड यूनियन्स ने दावा किया है कि इस हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. इसमें छात्रों के 60 संगठनों और कुछ यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है.
देश की बड़ी ट्रेड यूनियन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी के अलावा कई और अन्य सेक्टोरल इंडिपेंडेंट फेडरेशन और असोसिएशन्स ने हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है. इसके अलावा छात्रों के 60 संगठनों और कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है.
दरअसल यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है. छात्रों ने की ओर से हड़ताल का एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.