बिना ऊपरी चढ़ावे के कागजों पर साइन नहीं करते ये तहसीलदार साहब,वीडियो वायरल

एटा–प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम के भले ही लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी आम जनता को अपना काम कराने के लिए या तो अधिकारियों को चक्कर काटने पड़ते या फिर सुविधा शुल्क दिये बिना उनका कोई काम नहीं होता।

ताजा मामला एक बार फिर एटा में सामनें आया है जब जलेसर तलहसीलदार विजय कुमार छत्रपति तो जैसे रिश्वत लेने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हो। एटा के जलेसर तहसीलदार विजय कुमार छत्रपति का सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो भी देख ले तो भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन देने की तस्वीर साफ हो जाएगी। रिश्वतखोर इन महाशय को जब तक ऊपरी चढ़ावा न मिले ये किसी भी कागज पर साईन नहीं करते है। दरअसल ये पूरा मामला तहसील जलेसर की ग्राम पंचायत नगला मदारी का है जहॉं के रहने वाले तालेवर सिंह अपने गाटा संख्या 2367 पर वारिसान सर्टिफिकेट के लिए अपर जिलाधिकारी से मिले जिसके बाद पूरे मामले को उन्होंने तहसीलदार जलेसर वीके छत्रपति को जॉंच के बाद आक्या देने को कहा। लेकिन वारिसान सर्टिफिकेट और रशीद देने के साथ ही काम कर देने की हामी भरने के बाद रिश्वतखोर तहसीलदार ने पीड़ित किसान तालेवर सिंह से 17 हजार रुपये की मॉंग कर दी। मरता क्या न करता पीड़ित तालेवर सिंह ने कर्ज लेकर साहब को 17 हजार रुपये की रिश्वत दे दी लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी नतीजा सिफर रहा जिसके बाद पीड़ित ने तहसीलदार जलेसर से काम न होने पर और ब्याज पर रुपये लेकर देने की बात कहते हुए रुपये वापस करने की बात कही तो साबह का पारा चढ़ गया। 

अंत में पीड़ित किसान द्धारा जब मामले को उच्चाधिकारियों तक ले जाने की बात कही तो घूसखोर तहसीलदार ने हड़काते हुए और खरीखोटी सुनाते हुए रुपये वापस कर दिये,लेकिन तब तक पीड़ित किसान द्धारा घूस्रखोर साहब का वीडियो बना लिया गया था और उसने इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। चार दिन पूर्व का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और ये पूरा मामला जिलाधिकारी आईपी पांडेय के संज्ञान में भी है लेकिन अपने चहेते मातहत को बचाने की खातिर पूरे मामले मे लीपापोती जारी है। ऐसे में सबसे अहम सवाल ये कि ऐसे अधिकारी किस तरह योगी सरकार की सुशासन को पलीता लगा रहे है उन्हें इसकी जरा भी फिक्र’ नहीं है। वहीं इस पूरे मामले में जिलाधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

(रिपोर्ट- आर. बी. द्विवेदी , एटा )  

Comments (0)
Add Comment