भारत के प्रमुख वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद के एक समृद्ध परिवार में हुआ। डॉ. साराभाई को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जाना जाता है।
ये भी पढ़ें..भाजपा ने जितेंद्र सिंह बबलू को पार्टी से निकाला, रीता बहुगुणा किया था विरोध
उन्होंने आणविक उर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कई दूसरे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 86 शोधपत्र लिखे और 40 संस्थानों को खोले जाने में सक्रिय योगदान दिया।उपग्रह टेलीविजन प्रसारण में निभाई भूमिका
1966 में डॉ. होमी जहांगीर भाभा के निधन के बाद डॉ. साराभाई ने परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक विकास की गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में छिपी संभावनाओं को पहचान लिया था।
जिसमें संचार, मौसम विज्ञान और प्राकृतिक संसाधनों के लिए खोज शामिल है। साराभाई ने देश की रॉकेट प्रौद्योगिकी को भी आगे बढ़ाया और भारत में उपग्रह टेलीविजन प्रसारण में अग्रणी भूमिका निभाई।
30 दिसंबर 1971 को केरल में हुआ था निधन
डॉ. साराभाई विज्ञान के साथ-साथ समान रूप से कला पारखी भी थे। सांस्कृतिक गतिविधियों में भी रुचि रखने वाले वैज्ञानिक डॉ. साराभाई संगीत, फोटोग्राफी, पुरातत्व, ललित कलाओं से जुड़े रहे। 30 दिसंबर 1971 को केरल के तिरुवनंतपुरम के कोवलम में उनका आकस्मिक निधन हो गया।
उनके विराट व्यक्तित्व के बारे में फ्रांसीसी भौतिक वैज्ञानिक पीएरे क्यूरी ने कहा कि डॉ.साराभाई का उद्देश्य जीवन को स्वप्न बनाना और उस स्वप्न को वास्तविक रूप देना था। निश्चय ही क्यूरी ने डॉ. साराभाई को जिस रूप में देखा, वह सही था और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता इसका प्रमाण है।
ये भी पढ़ें..14 साल की नौकरानी से मालकिन की दरिंदगी, मेहमानों से जबरन बनवाती थी संबंध, प्रेग्नेंट होने पर खुला राज…
ये भी पढ़ें..पॉर्न फिल्में देख छोटे भाई से संबंध बनाने लगी 9वीं की छात्रा, प्रेग्नेंट होने पर खुला राज, सदमे में परिजन…
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं…)