लखनऊ– समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविन्द चौधरी ने कल विधानसभा में नोटिस देकर कासगंज में घटित घटना पर चर्चा कराये जाने की माॅग की तथा घटना की जाॅच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान जज से कराने की माॅग की है।
रामगोविन्द चौधरी ने सदन को नोटिस में बताया कि 26 जनवरी, 2018 को सुबह लगभग 9:30 बजे बड्डूनगर, कासगंज स्थित अब्दुल हमीद तिराहा पर मुस्लिम समुदाय के लोग चैराहे पर कुर्सियाॅ डालकर राष्ट्रीय कार्यक्रम ध्वजारोहण कर रहे थे। तभी आर.एस.एस., विहिप एवं एबीवीपी के सैकड़ों लोग मोटर साइकिलों पर सवार होकर तिरंगा कम भगवा झण्डे ज्यादा लेकर आए और कुर्सियों को हटवाने का प्रयास करते हुए ‘भारत में रहना है तो वन्देमातरम कहना है’, भारत में रहना है तो जय श्रीराम कहना है’ के नारे लगाते रहे। मुस्लिम समुदाय के लोगो ने जब आपत्ति की तो लोग कुर्सियाॅ उठाकर फेंकने लगे ; जिससे विवाद उत्पन्न हुआ और फिर उसे सांम्प्रदायिक दंगे का रूप दे दिया गया।
उन्होंने इस घटना की सीसीटीवी फुटेज, वीडियो की तीन सीडी सदन में दिखाते हुए सबूत पेश करने का दावा किया और कहा कि इन्हें सदन में सबको दिखा दिया जाय दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। श्री चैधरी ने मृतक अभिषेक उर्फ चंदन के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये अधिक से अधिक सहायता दिये जाने का अनुरोध किया। निष्पक्ष जाच हेतु मामले की जाॅच उच्च न्यायालय के जज से कराने का अनुरोध किया।
वहीं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को बताया कि वहाॅ धारा 144 लगी थी। मुस्लिम समुदाय ने ध्वाजारोहण की परमीशन नहीं ली थी और यह तिरंगा यात्रा एक पारंपरिक यात्रा 30-40 साल से हो रही थी। पारम्परिक यात्राओं का न मार्ग बदलता है न परमीशन की जरूरत होती है। इसे केवल एक घटना मात्र बताकर सूचना को निरस्त करने का अनुरोध किया। सदन स्थगन के बाद संसदीय कार्यमंत्री ने मामले की न्यायिक जाॅच न कराकर एस0आई0टी0 (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) से कराने की बात कही जिसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांगे्रस पार्टी के नेताओं ने स्वीकार नहीं किया और उच्च न्यायालय के वर्तमान जज से मामले की जाॅच कराये जाने की माॅग की गयी। सरकार द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया गया। समाजवादी पार्टी ने भाजपा द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने निष्पक्ष कार्यवाही न करने का आरोप लगाया और तीनों दलों ने सदन का बहिष्कार किया।