हेल्थ डेस्क– एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि तनाव अथवा उद्वग्निता से जूझने के दौरान लोग बुरी अथवा नकारात्मक खबरों को ज्यादा सहजता से लेते हैं। जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक शोध में खुलासा किया गया है कि बुरी खबर की बजाय अच्छी खबर को ज्यादा तवज्जो देने की प्रवृत्ति उस वक्त गायब हो जाती है।
जब लोग डरे हुए होते हैं। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के ताली शरोट ने कहा, ‘‘आमतौर पर लोग ज्यादा आशावादी होते हैं। हम बुरे को नजरअंदाज करके अच्छे को अपना लेते हैं। हमारे शोध में हिस्सा लेने वाले जब शांत थे तो उन्होंने ठीक यही किया लेकिन जब वे तनाव में थे तो एक नया पैटर्न सामने आया’’।
शरोट ने कहा, ‘‘ इन स्थितियों में वे उन बुरी खबरों के प्रति ज्यादा सजग हो गए जो हमने उन्हें दी हालांकि इस बुरी खबर का उनकी उद्विग्नता से कोई संबंध नहीं था। शोध में हिस्सा ले रहे 35 लोगों से कहा गया कि एक कार्य पूरा करने के बाद उन्हें जजों के एक पैनल के सामने अचानक दिए गए किसी विषय पर बोलना होगा।
इससे उनमें तनाव का स्तर बढ़ाया गया। वहीं आधे लोगों से कहा गया कि उन्हें अध्ययन के अंत में निबंध लिखना होगा। इसके बाद भाषण देने वाले समूहों में तनाव के स्तर की जांच की गई। इसके लिए उन्होंने अनेक तरीके अपनाए।
शोधकर्ताओं ने बताया कि जैसे की उम्मीद की जा रही थी जो प्रतिभागी किसी प्रकार के दबाव में नहीं थे उन्होंने बुरी के मुकाबले अच्छी खबरों को ज्यादा अच्छे से लिया वहीं तनाव से जूझ रहे लोगों ने बुरी खबरों को ज्यादा अच्छे तरीके से लिया।