गुजरात– मामला दो प्रदेशों से जुडा है। मिल रही जानकारी के अनुसार विगत 12 मई को गुजरात के वडोदरा से चली श्रमिक स्पेशल (shramik special) ट्रेन 1908 मजदूरों को लेकर इसे उत्तर प्रदेश के बांदा में मजदूरों को उतारना था।
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दोनों प्रदेशों की सरकारों सहित रेलवे के भी हाथ पावं उस समय फूल गये जब 13 मई को बांदा पहुचीं (shramik special) ट्रेन से मात्र 1570 मजदूर ही निकले अर्थात 338 मजदूर कम।
गुजरात और उत्तर प्रदेश की सरकारों के प्रशासन सहित रेलवे ने वृहद स्तर पर गायब मजदूरांं की तलाश शुरू कर दी है परन्तु इस घटना पर कई सवालिया निशान भी लगते दिखाई दे रहे है।
क्या कहते है कमिश्नर-
मण्डलायुक्त चित्रकूटधाम गौरव दयाल का कहना है कि यह मामला विभागीय लापरवाही का लगता है, नियमों के अनुसार 22 डिब्बों की इस (shramik special) ट्रेन में 1908 मजदूर बैठाये ही नहीं जा सकते जरूर विभागीय लापरवाही से सूची बनाने में गलती की गयी है, हम इस ऐगिल पर भी जाचं को आगे बढा रहे है।
रेलवे की माने तो लाकडाउन प्र्रोटोकाल के अनुसार (shramik special) ट्रेन के प्रस्थान करने के बाद वह उसी जगह रूकेगी जहां के श्रमिक उस ट्रेन में सवार होगें। बांदा पहुचने से पूर्व ट्ेन मात्र दो स्टेशनो रतलाम और झासी में ही रूकी थी। नियमों के अनुसार बांदा के अतिरिक्त किसी और स्टेशन पर किसी भी व्यक्ति को उतरने की अनुमति नहीं थी इसके पालन के लिए रेलवे पूरी तरह से सजग रहता है।
हैरानी तो इस बात की है कि इस ट्रेन से आने वाले यात्रियों की पूरी तरह जाचं पडताल भी की गयी थी और उनकी सूची जिलाधिकारी बडोदरा द्वारा भेजा गया था, चित्रकूट धाम मण्डल के मण्डलायुक्त की बात पर यकीन किया जाये तो क्या बडोदरा रेल के साथ साथ बडोदरा प्रशासन को भी इस बात की भनक नही लगी कि भेजी जा रही 1908 लोगों की लिस्ट मानक को नही पूरा कर रही है एक ट्रेन से इतने श्रमिक भेजे जाने का प्रावधान ही नही है।
फिलहाल इस मामले में बादां और बडोदरा प्रशासन रेलवे से सम्पर्क कर गायब हुए मजदूरों की खोजबीन करने का प्रयास कर रहा है।