Sanjauli Mosque Dispute , शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संजौली मस्जिद को लेकर बढ़ते तनाव के बीच स्थानीय मुस्लिम कल्याण समिति ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त से अनधिकृत हिस्से को सील करने का आग्रह किया। इतना ही नहीं मुस्लिम कल्याण समिति ने अदालत के आदेश के अनुसार मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने की भी पेशकश की।
समिति में मस्जिद के इमाम और वक्फ बोर्ड और मस्जिद प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हैं। अब सवाल यह उठता है कि इतनी जद्दोजहद के बाद मुस्लिम संगठन मस्जिद के अवैध हिस्से को खुद ही गिराने की बात क्यों करने लगे? आइए जानते हैं पूरा मामला।
कोर्ट में मामला होने के बावजूद नहीं हो रहा था निर्माण
दरअसल पिछले कुछ दिनों से संजौली मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद थम नहीं रहा है। इस 5 मंजिला मस्जिद के अवैध हिस्सों को लेकर हिंदू संगठन और व्यापारी सड़कों पर हैं। लोगों की मांग है कि अवैध मस्जिद को गिराया जाए। इस पूरे मामले पर राजनीति भी गरमा गई है और बीजेपी लगातार सत्ताधारी कांग्रेस को घेर रही है।
बता दें कि लैंड रिकॉर्ड में जमीन हिमाचल सरकार की है जबकि कब्जा अहल-ए-इस्लाम का है। इस कब्जे के खिलाफ 2010 से कोर्ट में केस चल रहा है। 2010 में मस्जिद का दायरा बढ़ने लगा और साथ ही 2012 में कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई लेकिन काम नहीं रुका। 2019 तक 4 अतिरिक्त मंजिलें तैयार हो गईं और 6349 वर्ग फीट का अवैध निर्माण हो गया।
उग्र विरोध के बाद बैकफुट पर आया मुस्लिम पक्ष
दरअसल कुछ दिन पहले तक दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए थे, लेकिन अब मुस्लिम पक्ष बैकफुट पर आता दिख रहा है। मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से आंदोलन चल रहा है और इसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हिंदू संगठनों के लगातार उग्र विरोध के बाद मुस्लिम पक्ष बैकफुट पर आया और उसने अवैध निर्माण को खुद ही गिराने की पेशकश की।
हालांकि मस्जिद में अवैध निर्माण किसने कराया, इस बारे में मस्जिद कमेटी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। हालांकि हिंदू संगठनों के उग्र विरोध के बाद मुस्लिम पक्ष विवाद को और बढ़ाने के मूड में नहीं दिख रहा है। मुस्लिम कल्याण समिति ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री को सौंपे ज्ञापन में मस्जिद के अवैध हिस्से को सील करने का अनुरोध किया और कहा कि इलाके में रहने वाले मुस्लिम हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी हैं और समिति सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए यह कदम उठा रही है।
कल्याण समिति के सदस्य मुफ्ती मोहम्मद शफी कासमी ने कहा, ‘हमने शिमला नगर निगम आयुक्त से संजौली स्थित मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को गिराने की अनुमति मांगी है।’ वहीं, संजौली मस्जिद के इमाम ने कहा, ‘हम पर कोई दबाव नहीं है, हम दशकों से यहां रह रहे हैं और यह फैसला हिमाचली होने के नाते लिया गया है। हम शांति से रहना चाहते हैं और भाईचारा बना रहना चाहिए।’
सरकार के दबाव में लिया फैसला- हिंदू संगठनों ने का दावा
हिंदू संगठनों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय ने सरकार के दबाव में यह प्रस्ताव दिया है ताकि विरोध को खत्म किया जा सके। मस्जिद में विवादित ढांचे को गिराने और राज्य में आने वाले बाहरी लोगों के पंजीकरण की मांग कर रहे हिंदू संगठनों ने बुधवार को संजौली बंद का आह्वान किया था।
प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए और मस्जिद के करीब पहुंच गए जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया और पानी की बौछारें कीं। इस झड़प में 6 पुलिसकर्मी और 4 प्रदर्शनकारियों समेत कम से कम 10 लोग घायल हो गए। मस्जिद में कुछ मंजिलों के अवैध निर्माण के मामले की अगली सुनवाई म्यूनिसिपल कोर्ट में 5 अक्टूबर को तय की गई है।
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