न्यूज डेस्क– जम्मू कश्मीर में छह महीने के लिये राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने का आग्रह करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र बहाल रहे, यह भाजपा सरकार की ”सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें सरकार जरा भी लीपापोती नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार वहां शांति, कानून का शासन तथा आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने को लेकर कटिबद्ध हैं । लोकसभा में शाह दो प्रस्ताव लेकर आए जिसमें से एक वहां राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने और दूसरा जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 5 और 9 के तहत जो आरक्षण का प्रावधान है उसमें भी संशोधन करके कुछ और क्षेत्रों को जोड़ने का प्रावधान शामिल है । कांग्रेस के मनीष तिवारी ने दोनों प्रस्तावों को एक साथ पेश करने का विरोध किया । इस पर शाह ने कहा कि उन्हें अलग अलग प्रस्ताव पेश करने में कोई परेशानी नहीं है, वह केवल समय बचाना चाहते हैं । इसके बाद दोनों प्रस्ताव एक साथ पेश किये गए ।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए अंतिम चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुआ था जिसमें किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिल पाने की स्थिति में राज्य में पहली बार बीजेपी ने पीडीपी के साथ हाथ मिलाया था और सरकार बनाई थी। मगर कुछ साल तक साथ रहने के बाद दोनों पार्टियों ने अलग होने का फैसला लिया था। राज्य के ई मसलों पर दोनों पार्टियों के बीच तालमेल नहीं होने की स्थिति में पिछले साल करीब जून में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था और इस तरह से राज्यपाल ने सरकार भंग कर दी थी। इसके बाद राज्य में राज्यपाल का शासन लागू हो गया था। राज्यपाल के शासन की अवधि राज्य में 6 महीने की थी, जो अब पूरा हो गया है। जिसे अब छह महीने के लिए फिर बढ़ा दिया गया।