उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में शुक्रताल स्थित आश्रम के मालिक को बोलचाल में ‘महाराज’ कहा जाता है। आश्रम में रह रहे बच्चों का आरोप है कि ‘महाराज’ ने कोरोना वायरस की दवा बताकर उन्हें शराब पीने को मजबूर किया। बच्चों की शिकायत चाइल्ड हेल्पलाइन ने थाने में दर्ज कराई, जिसके बाद गुरुवार रात गोदिया मठ आश्रम के स्वामी भक्ति भूषण उर्फ ‘महाराज’ को गिरफ्तार कर लिया गया।
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तीन दिन पहले, इस आश्रम में रहने वाले 10 लड़कों को आश्रम से मुक्त कराया गया है। इन लड़कों का कहना है कि उन्हें यौन प्रताड़ना दी गई, मारा-पीटा गया और मजदूर की तरह काम करने के लिए मजबूर किया गया। आश्रम मालिक के खिलाफ गुरुवार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 (अस्वाभाविक अपराध) और बाल यौन अपराध से बचाव (पॉक्सो) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। गोदिया मठ आश्रम से छुड़ाए गए बच्चों की उम्र 7 से 16 वर्ष के बीच है।
ये बच्चे पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम और असम से ताल्लुक रखते हैं। इन बच्चों को चाइल्ड केयर हेल्पलाइन की टीम और पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर बीते मंगलवार को छुड़ाया था। इन बच्चों को इनके मजबूर माता-पिता ने इस भरोसे और उम्मीद के साथ आश्रम में भेजा था कि उनके नौनिहालों को अच्छी शिक्षा मिलेगी। मिजोरम से ताल्लुक रखने वाले 10 साल के एक बच्चे ने बाल कल्याण समिति को दिए बयान में कहा, ‘महाराज ने कोरोना वायरस की दवा बताकर हमें शराब पिला दी। इसके बाद वह नंगा हो गया और लेट गया। उसने हमें गंदी फिल्में दिखाईं और हमारे साथ बुरा काम किया।’ चिकित्सीय जांच में चार बच्चों को यौन प्रताड़ना दिए जाने की पुष्टि हुई है।
12 साल पहले की थी आश्रम की स्थापना-
मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव ने कहा, ‘वह महाराज सिसौली गांव का रहने वाला है। उसने आश्रम की स्थापना 12 साल पहले की थी। अपराध का उसका कोई पुराना रेकॉर्ड नहीं है। स्थानीय लोग बताते हैं कि महाराज ने पहले चंडीगढ़ में चमत्कारी बाबा के रूप में अपना सिक्का जमा रखा था। उस दौरान दान में मिले पैसों से उसने यहां आश्रम बनवाया। आश्रम की दो मंजिली इमारत बनाने में उसने बच्चों से भी काम कराया था।’
स्वयंभू महाराज ने दी सफाई-
इस बीच, महाराज ने कहा कि उस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह स्थानीय लोगों की एक साजिश का हिस्सा है। उनकी नजर आश्रम को दान में मिले जमीन के बड़े टुकड़े पर है। उसने कहा, ‘हमारे पास सीसीटीवी कैमरे हैं, जो चेक किए जा सकते हैं। बच्चे यहां काफी समय से रह रहे थे। अब स्थानीय लोगों ने उन्हें ये सब बातें बोलने के लिए कहा। आश्रम को जब दान में जमीन मिली, तभी से कुछ लोग परेशान कर रहे हैं।’