न्यूज़ डेस्क — राहुल गांधी ने मंगलवार को पीएम मोदी पर शायराना अंदाज में सवाल दागे। उन्होंने ट्वीट किया, ’22 सालों का हिसाब #गुजरात_मांगे_जवाब। प्रधानमंत्रीजी-7वां सवाल:
जुमलों की बेवफाई मार गई
नोटबंदी की लुटाई मार गई
GST सारी कमाई मार गई
बाकी कुछ बचा तो –
महंगाई मार गई
बढ़ते दामों से जीना दुश्वार
बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?”
राहुल ने प्रधानमंत्री पर 7वां सवाल दागा लेकिन इसमें उन्होंने जो आंकड़े दिए उनमें गणित की गलती कर बैठे। मिसाल के तौर पर ट्वीट के ग्रैफिक्स में बताया गया है कि 2014 में गैस सिलिंडर की कीमत 414 रुपये थी जो 2017 में 742 रुपये हो गई है और इस तरह उसकी कीमत में 179 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। लेकिन बढ़ोतरी का आंकड़ा गलत है। यह इजाफा 179 प्रतिशत के बजाय 79 प्रतिशत होना चाहिए। इसी तरह दाल की कीमत में 177 प्रतिशत का इजाफा बताया गया है जबकि होना चाहिए था 77 प्रतिशत। ग्रैफिक्स में बताया गया है कि 2014 में प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो थी जो 2017 में 80 रुपये प्रति किलो हो गई है और इस तरह प्याज की कीमत में 200 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। लेकिन यह इजाफा 100 प्रतिशत है न कि 200 प्रतिशत।
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ये हैं राहुल गांधी के पहले के 6 सवाल—
1. 2012 में वादा किया कि 50 लाख नए घर देंगे। 5 साल में बनाए 4.72 लाख घर। प्रधानमंत्री जी बताइए कि क्या ये वादा पूरा होने में 45 साल और लगेंगे?
2. 1995 में गुजरात पर कर्ज- 9,183 करोड़। 2017 में गुजरात पर कर्ज- 2,41,000 करोड़। यानी हर गुजराती पर 37,000 कर्ज। आपके वित्तीय कुप्रबन्धन व पब्लिसिटी की सजा गुजरात की जनता क्यों चुकाए?
3. 2002-16 के बीच 62,549 Cr की बिजली खरीद कर 4 निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी? सरकारी बिजली कारख़ानों की क्षमता 62% घटाई पर निजी कम्पनी से 3/ यूनिट की बिजली 24 तक क्यों ख़रीदी?
4. सरकारी स्कूल-कॉलेज की कीमत पर किया शिक्षा का व्यापार महँगी फीस से पड़ी हर छात्र पर मार, New India का सपना कैसे होगा साकार? सरकारी शिक्षा पर खर्च में गुजरात देश में 26वें स्थान पर क्यों? युवाओं ने क्या गलती की है?
5. न सुरक्षा, न शिक्षा, न पोषण, महिलाओं को मिला तो सिर्फ शोषण, आंगनवाड़ी वर्कर और आशा, सबको दी बस निराशा। गुजरात की बहनों से किया सिर्फ वादा, पूरा करने का कभी नहीं था इरादा।
6.भाजपा की दोहरी मार एक तरफ युवा बेरोजगार दूसरी तरफ़ लाखों फिक्स पगार और कांट्रैक्ट कर्मचारी बेज़ार 7वें वेतन आयोग में 18000 मासिक होने के बावजूद फिक्स और कांट्रैक्ट पगार 5500 और 10000 क्यों?