लखनऊ–उन्नाव से बाहुबली विधायक कुलदीप सेंगर पर लगे दुष्कर्म के आरोपी की सुनवाई कर रही रही दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने 2017 में नाबालिग के दुष्कर्म के मामले में विधायक के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप तय किए हैं।
इसी के साथ विधायक के 25 सालों का रातनीतिक साम्राज्य ढह गया। अदालत ने सेंगर के साथी शशि सिंह के खिलाफ नाबालिग लड़की के अपहरण के संबंध में आरोप तय किए हैं। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण एवं महिला पर विवाह के लिए दबाव डालना), 376 (बलात्कार) और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) की प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं। सीबीआई ने बृहस्पतिवार को अदालत को बताया था कि सेंगर और उसके भाई ने लड़की के पिता पर हमला किया और तीन राज्य पुलिस अधिकारियों एवं पांच अन्य के साथ मिलकर शस्त्र कानून के एक मामले में उसे फंसाया।
दुष्कर्म पीड़िता के एक्सीडेंट के बाद फिर सुलग उठा था उन्नाव दुष्कर्म कांडः
28 जुलाई 2019 को रायबरेली में पीड़िता की कार में टक्कर लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया। इस हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो चुकी है। इस पहले 12 जुलाई 2019 को पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र भी लिखा था। जिसके आधार पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले की सुनवाई की। जिसमें उन्होंने कई अहम फैसले दिए। पीड़िता के परिवार और वकील को को सीआईपीएफ की सुरक्षा दी गई। पीडि़ता की मां को 25 लाख रुपये का चेक दिया गया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले को 7 दिनाें में और पूर्व में चल रहे पूरे मामले को 45 दिनों में खत्म करने का समय दिया है। जिसके बाद सीबीआई इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए लगातार छापे मार रही है।
उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र की रहने वाली युवती ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर जून 2017 में बंधक बनाकर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने थाने में आरोपी विधायक के खिलाफ तहरीर दी थी लेकिन कार्रवाई करने की बात तो दूर पुलिस उसे टरकाती रही। इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। उन्नाव जिले के माखी थानाक्षेत्र की रहने वाली युवती ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर जून 2017 में बंधक बनाकर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। दो साल पहले भाजपा विधायक व उनके भाईयों पर रेप का आरोप लगा था। इसके बाद पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हुई।
पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया तो मामला सुर्खियों में आया था। सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने विधायक को क्लीनचिट दे तो दी लेकिन परिवार, विपक्ष व समाजसेवियों के हंगामे के बाद केंद्र की मंजूरी पर सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी ।