हरदोई –-भाजपा की पूर्व सांसद और उत्तर प्रदेश कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्णिमा वर्मा को खुद नही पता कि एक्ट में क्या संशोधन हुआ है।उनका कहना है कि संसद में एससी-एसटी को लेकर तमाम संशोधन हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में एक पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा की पूर्व सांसद और अनुसूचित जाति जनजाति आयोग उत्तर प्रदेश की उपाध्यक्ष पूर्णिमा वर्मा ने कहा संशोधन तो अभी हुआ है आपने देखा नहीं उसमें बहुत से संशोधन हुए हैं उसमें कई उसमें हुआ है जानकारी करके आप लोगों को उपलब्ध करा देंगे जब उनसे संशोधन किन बिंदुओं पर किया गया है इस पर प्रकाश डालने के लिए कहा गया तो उन्होंने अपने पास बैठे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव रंजन मिश्रा का मोबाइल लेते हुए उसे पढ़कर सुनाना शुरू कर दिया और पढ़ कर बताने लगी।
अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा एससी एसटी को लेकर जो भ्रमित किया गया है या बिल्कुल निराधार है गलत है इससे भी ज्यादा जो मैं समझती हूं वह दहेज प्रथा की धारा ज्यादा प्रभावी है क्योंकि जब दहेज प्रथा की FIR लगती है तो उसमें कोई भी रियायत नहीं होती है पूरे पूरे घर के परिवार के सभी लोग जेल चले जाते हैं और उसमें जमानत नहीं होगी उसमे समाज के सभी वर्ग के लोग प्रभावित होते हैं तो इसलिए यहां तो एक भ्रम फैलाया जा रहा है एससी एसटी एक्ट के बारे में जो कि ऐसा कुछ नहीं है सरकार के द्वारा जो भी बनाया जाता है वह सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है आज कोर्ट ने भी कहा है कि अरेस्टिंग से पहले जांच होगी तभी अरेस्टिंग होगी तो इसलिए कोई बात जो एक्ट के बारे में कहा जा रहा है भ्रम फैलाया जा रहा है बाकी हमारी केंद्र और प्रदेश की सरकार सभी लोगों के साथ सबका साथ सबका विकास का साथ लेकर चलती है और सभी का विकास भी हो रहा है चाहे वह हमारे निम्न परिवार के लोग चाहे और सामान्य परिवार के लोग सभी लोगों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी हमेशा चली है और आगे भी चलेगी।
पूर्णिमा वर्मा ने कहा कि देखिए पहली बार तो एससी एसटी एक्ट इतनी जल्दी लगता नहीं है वह आप लोग भी जानते हैं हम लोग भी जानते हैं FIR होगी तभी तो SC ST लगेगा FIR ही नहीं हो पाती है पहली बात तो यह है इतनी जल्दी ऐसा कोई नहीं है कि खाली हरिजन एक्ट के लिए ही वहां पहुंच जाए और संशोधन की बात जो है संशोधन कोई तुरंत थोड़ी ना किया गया है वह तो पहले से प्रक्रिया चल रही थी और पार्लियामेंट में हुआ है इसलिए संशोधन कोई बहुत जल्दी नहीं यह प्रक्रिया चलती रहती है और प्रक्रिया के तहत हुआ है।
(रिपोर्ट – सुनील अर्कवंशी , हरदोई )