न्यूज़ डेस्क — एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में काफी विरोध हो रहा है। दलित समुदाय के लोग और कई संगठन इस पर अपनी आपत्ति जता रहे हैं। देशभर में इन लोगों की तरफ से ‘भारत बंद’ भी किया जा रहा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में काह था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है। कोर्ट का यह मानना था कि कई लोग इस ऐक्ट का इस्तेमाल ईमानदार सिविल सेवकों को ब्लैकमेल करने के लिए झूठे मामले में फंसाने के इरादे से भी कर रहे हैं। इसलिए इस कानून के जरिये तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को कोर्ट ने नरम कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 20 मार्च को दिया।
आदेश को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने 20 मार्च के फैसले को स्थगित रखने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम एससी/एसटी के खिलाफ नहीं हैं, बस इतना चाहते हैं कि किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए। केंद्र की पुर्निवचार याचिका पर 10 दिन बाद विस्तार से सुनवाई की जाएगी। इस बीच, महाराष्ट्र और अन्य लोग अपनी लिखित दलीलें पेश करें। आंदोलन कर रहे लोगों ने फैसला उचित ढंग से नहीं पढ़ा है और वे निहित स्वार्थी तत्वों से गुमराह हो गए। कोर्ट का कहना है कि हमने कानून के प्रावधानों को नरम नहीं किया है, बल्कि निर्दोष व्यक्तियों की गिरफ्तारी के मामले में उनके हितों की रक्षा की है।