एटा–जनपद एटा के दो इंसान; जो अब तक 300 से ज्यादा लोगो की जान बचा चुके है लेकिन आज वो रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन दोनों भाइयों ने केंद्र और राज्य की सरकारों से देश सेवा में हिस्सा देने की गुहार लगाई है ।
दोनों भाई नहर की पटरी पर गाड़ियों में पंचर जोड़कर अपने परिवार की गुजर-बसर करते है और पंचर लगाकर चंद पैसे कमा कर अपने परिवार का पेट पालते है। खुद मुफलिसी में जीने वाले इन दोनों भाइयों ने 300 से ऊपर लोगो को जान बचाकर उन्हें जीवन दान दिया है, जिससे लोग इन्हें भगवान कहते में भी संकोच नही करते। जनपद एटा के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के आगरा रोड पर हजारा नहर पर कमसान का पुल है, अगर हम इसे शमशान का पुल कहें तो कुछ गलत नही होगा। वही अपनों से सताए हुए सैकड़ों बूजुर्ग, महिला और युवकों ने इस हजारा नहर के पुल से कूदकर न जाने कितने लोगों ने अपनी जान दे दी होगी,लेकिन यहाँ पर पंचर का काम कर रहे इन दोनों भाइयों रविंद्र सिंह और जुगेंद्र सिंह यहाँ मौजूद होते है। तो खुदकुशी करने वालो की मंशा पूरी नही हो पाती। ये दोनों भाई अपने काम को छोडकर अपनी जान की बाजी लगाते हुए नहर में छलांग लगा देते है और तैराकी में महारथ हाशिल किये दोनों भाई उसके लिए जीवन दाता बन जाते है।अगर इन्हें असल जिंदगी का हीरो कहे तो ये अतिश्योक्ति नही होगा।
वही लोगों की मानें तो गरीबी ने इन दोनों भाईयों को अपना जिला फिरोजाबाद छोड़ने को मजबूर कर दिया और परिवार को पालने के लिए पंचर की दुकान का सहारा लेना पड़ा जो जनपद एटा के कमसान हजारा नहर के पुल पर है। जब जिला प्रशासन को इनकी जरूरत पड़ती है तो ये उनका तुरंत सहारा बन जाते है। लेकिन इन्हें अफसोस बस इस बात का है कि ये दोनों भाई दूसरों का सहारा बनने वालों का सहारा आख़िर कौन बनेगा। अब तक ना ही जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद मिली और न ही सरकार की तरफ से।
हालांकि इन दोनों भाइयों को मख्यमंत्री सहित तमाम बड़े अधिकारीयो व नेतागणों ने इनके इस नेक कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित तो कर चुके है लेकिन साहब ये पापी पेट तो इनसे नही भरता उसके लिए तो रोजगार चाहिए जो सरकार के पास है। इन दोनों भाइयों ने दोनों सरकारों के मुखियाओ से गुहार लगाते हुए देश सेवा में हिस्सेदारी देने की मांग की है। वही अब देखने की बात होगी कि केन्द्र और राज्य सरकार इन्हें रोजगार दे पाएगी या नही।
(रिपोर्ट-आर.बी.द्विवेदी, एटा)