न्यूज़ डेस्क — पिछले साल नोटबंदी के बाद बैंकों में करंसी की कमी को लेकर संकट का सामना करने के एक साल बाद जिले के को-ऑपरेटिव बैंक अब दूसरी मुसीबत में फंसे हैं। 10 रुपये के सिक्के को लेकर लोगों के दिमाग में संदेह के चलते इस समय बैंक के लॉकर 10 रुपये के सिक्कों से भरे पड़े हैं। इन सिक्कों को अवैध बताने की अफवाह के चलते कोई इन सिक्कों को लेना नहीं चाहता।
अधिक संख्या में इन सिक्कों को नकारे जाने की वजह से ये सिक्के अब बैंक के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। इन सिक्कों को ठिकाने लगाना बैंक कर्मचारियों के लिए गले की फांस बनती जा रही है। पुणे के जिला शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन के चेयरमैन विजय धरे ने बताया, ‘जब से नोट बैन हुए हैं लोग किसी करंसी के अचानक से अवैध किये जाने के फैसले से डरे हुए हैं। इस वजह से वे इन सिक्कों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, इसी के साथ वह इस अफवाह पर विश्वास कर रहे हैं कि पिछले तीन-चार महीनों से ये सिक्के बैन हो चुके हैं।’ विजय ने आगे बताया कि इस कारणवश बैंक पूरी तरह से लाचार हैं। न केवल साधारण ग्राहक बल्कि व्यापारी और होलसेलर्स भी 10 रुपये के सिक्कों को बैंकों में जमा करते जा रहे हैं। इन सिक्कों को लेने वाला कोई ग्राहक नहीं मिल रहा है इस वजह से बैंक संकट की स्थिति में है।
बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 2005 में 10 रुपये के सिक्के जारी किये गये थे। इसके बाद 2011 में इन सिक्कों को नया रूप देकर दोबारा जारी किया गया। इस वजह से इन्हें पहले तो इनकी सही पहचान को लेकर संकट झेलना पड़ा था और अब लोग इसकी वैधता को लेकर असमंजस में हैं। बैंकों में इस समय 10 रुपये के सिक्के लाखों की राशि में है जबकि साधारण स्थिति में बैंक में जमा सिक्कों की राशि इतनी ज्यादा नहीं रही। वहीं मार्केट में करीब 5200 करोड़ रुपये के 10 रुपये के सिक्के सर्कुलेशन में है।