अंबेडकरनगर–अयोध्या मसले में सुप्रीम कोर्ट से आए फैलसे के बाद मंगलवार को रामजन्म भूमि मामले के पक्षकार रमेश चंद्र त्रिपाठी (84) पुत्र परशुराम त्रिपाठी का अपने पैतृक आवास पर निधन हो गया।
उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर स्थित भीटी थाना क्षेत्र के गांव भगवानपट्टी निवासी थे। मंदिर के पक्ष में फैसला आने से वह गदगद थे। क्षेत्रवासियों ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी। सूचना पर भीटी थाने के निरीक्षक मनीष कुमार सिंह व पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित कर कंधा दिया।वह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में ऑडीटर पद पर रह चुके हैं। परिवारजन के मुताबिक, उनकी धार्मिक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इसमें हनुमन नाट्यक्रम, आस्था केंद्र वैष्णो देवी, विंध्याचल धाम, अष्टावक मारवाह, वह भले एक सपना था आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। हिंदी संस्थान द्वारा इन्हें कबीर सम्मान, अवध भूषण सम्मान समेत विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
अयोध्या मामले के पक्षकार रमेश चंद्र त्रिपाठी 1965 में वह पहली बार मंदिर आंदोलन से जुड़े थे। पहले उच्च न्यायालय व उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में पक्षकार रहे। संभावित खतरे को देखते हुए प्रदेश सरकार से इन्हें एक सरकारी अंगरक्षक प्राप्त है। अयोध्या में सरयू नदी के तट पर गणमान्य लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। दो पुत्रों विभाकर त्रिपाठी व रत्नाकर त्रिपाठी में बड़े पुत्र विभाकर ने मुखाग्नि दी। मौके पर वेंकटरमन त्रिपाठी, अरङ्क्षवद त्रिपाठी, विद्याधर त्रिपाठी, हरिहर त्रिपाठी समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।