लंबे समय के बाद इस बार रक्षाबंधन के दिन बन रहा विशेष संयोग बन रहा है। इस साल सावन के आखिरी सोमवार पर सावन पूर्णिमा व श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। यह बहुत ही उत्तम संयोग है।
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दरअसल 3 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। हालांकि कभी-कभी अनजाने में ऐसी राखियां आ जाती हैं जो शुभ नहीं मानी जाती हैं। इसलिए राखी का चुनाव बहुत ध्यान से करना चाहिए।
रक्षाबंधन के दिन कुछ खास तरह की राखी बांधने से बचे
इस समय बाजार में तरह-तरह की डिजाइन की कई राखियां मिल रही हैं। खासतौर से चीन से आने वाली राखियां दिखने में सुंदर तो लगती हैं लेकिन ये भारतीय सभ्यता के हिसाब से नहीं बनी होती हैं। रक्षाबंधन के दिन कुछ खास तरह की राखी बांधने से बचना चाहिए। ज्योतिर्विद प्रतीक भट्ट से जानते हैं कि रक्षाबंधन के दिन किस तरह की राखी नहीं बांधनी चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान…
दरअसल जाने-अनजाने में बाजार से राखियां लाने में टूट जाती हैं और हम उसे वापस जोड़कर सही कर लेते हैं। अगर कोई राखी खंडित हो जाए तो उसका प्रयोग भाई की कलाई पर ना करें।
चीन से आने वाली प्लास्टिक की राखियों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि प्लास्टिक को केतु का पदार्थ माना जाता है और ये अपयश को बढ़ाता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन प्लास्टिक की राखियों से बचें।
बाजार में कई तरह की डिजाइनर राखियां आ रही हैं जो भारतीय सभ्यता के हिसाब से सही नहीं बनाई जा रही हैं। इनके प्रयोग से बचें।
राखी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसमें कोई धारधार या किसी तरह का कोई हथियार बना हो।
कई राखियों में भगवान के चित्र बने होते हैं। इस तरह की राखियों को शुभ नहीं माना जाता है। बहनों को इस तरह की राखी खरीदने से बचना चाहिए।
बहनें कोशिश करें कि रेशम से बनी, कलावे की या सूती की राखी का प्रयोग करें। इस तरह की राखी बांधने से भाइयों के यश में वृद्धि होती है।
भले ही कपास या सूत का धागा ही हो लेकिन प्लास्टिक की राखियों से बचें।
कुछ राखियों में बहुत वर्क किया गया होता है। लोहे का वर्क की हुई राखियां भी खरीदने से बचें।
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