राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर शुरू हुआ दंगल अब लगभग खत्म हो गया है. करीब एक महीने की बगावत के बाद सचिन पायलट की कांग्रेस में घर वापसी तय हो गई है. अपनी बगावत को पद और प्रतिष्ठा की बात कहने वाले सचिन पायलट ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की.
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कांग्रेस की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है, जो कि सचिन पायलट की सभी समस्याओं का समाधान करेगी. इन वादों के साथ ही सचिन पायलट मान गए हैं और जल्द ही वो कांग्रेस में किसी बड़े पद पर दिखाई दे सकते हैं.
कांग्रेस का मिशन 2022 और 2024
राजस्थान में भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पायलट की वापसी न चाहते हों, लेकिन सचिन पायलट की जरूरत कांग्रेस को सिर्फ राजस्थान में नहीं, देश में भी है. क्योंकि कांग्रेस को पायलट चाहिए 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव की जंग के लिए.
कांग्रेस को पायलट चाहिए 2024 में लोकसभा चुनाव की जंग जीतने के लिए. प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस की 2022 के लिए जमीन तैयार करने के लिए मेहनत कर रही हैं. यूपी की 55 विधानसभा सीटों और 15 लोकसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं.
गुर्जर वोट बैंक मजबूत करना…
सिर्फ यूपी ही नहीं, मध्य प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर पर भी गुर्जर वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. जबकि हरियाणा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली समेत उतर भारत में गुर्जर मतदाता असरकारी भूमिका में हैं. राजस्थान में पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की 30 सीटों पर गुर्जर मतदाता निर्णायक हैं. पायलट की राजस्थान ही नहीं, देशभर में गुर्जर नेताओं पर पकड़ है.
कांग्रेस के एक रणनीतिकार ने जब ये आंकड़े रखे तो प्रियंका गांधी ने पायलट की वापसी दिशा में एक सप्ताह पहले ही काम करना शुरू कर दिया था. पायलट की घर-वापसी के पीछे दूसरी बड़ी वजह हैं फारुक अब्दुल्ला परिवार. फारुक अब्दुल्ला परिवार के गांधी परिवार और कांग्रेस नेताओं से रिश्ते अच्छे हैं. कश्मीर की सियासत में भी कांग्रेस अब्दुल्ला परिवार का साथ देती आई.
दरअसल पायलट के कांग्रेस में लौट आने के पीछे एक और वजह रही है. वह है कांग्रेस में एक लॉबी की गहलोत से नाराजगी. दिल्ली में संगठन महासचिव रहते गहलोत के ‘शिकार’ रहे नेता और राजस्थान के नेताओं की टोली ने गांधी परिवार को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि गहलोत पर अति विश्वास और निर्भरता कांग्रेस के ज्यादा हित में नहीं.
युवा ब्रिग्रेड का दबाव बनाना
चौथी और अहम वजह है राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस की युवा ब्रिगेड. इस ब्रिगेड ने पायलट की वापसी के लिए गांधी परिवार पर दबाब बनाया. दीपेंद्र हुड्डा और भंवर जितेंद्र सिंह सचिन पायलट तथा प्रियंका गांधी के बीच बातचीत का जरिया बने.युवा ब्रिग्रेड ने दबाव बनाया कि अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो फिर कांग्रेस की बची-खुची युवा ब्रिगेड के किनारे होने से पार्टी की मुश्किल बढ़ सकती है.
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