राजस्थान में सियासी घमासान के बीच अशोक गहलोत की सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। प्रदेश सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने प्रस्ताव पेश किया। जिसके बाद इस प्रस्ताव पर विधानसभा में बहस जारी है।
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दूसरी ओर जिस तरह से सचिन पायलट ने बगावती सुर अख्तियार करने के बाद यू-टर्न लिया, उससे सत्ताधारी पार्टी का मनोबल काफी ऊंचा उठ गया है। खुद अशोक गहलोत ने भी शुक्रवार को एक ट्वीट से अपनी बात स्पष्ट कर दी।
विधानसभा में मौजूदा स्थिति
दरअसल सचिन पायलट के मानने और पार्टी में वापसी के बाद गहलोत सरकार के पक्ष में 122 विधायकों का आंकड़ा नजर आ रहा है। इनमें 107 विधायक कांग्रेस के हैं। जिनमें बीएसपी के भी 6 विधायक शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस में विलय किया था। इनके अलावा 5 सहयोगी पार्टियों से हैं और निर्दलीय विधायक भी सरकार के पक्ष में हैं। दूसरी ओर अगर बीजेपी की बात करें तो उनके पक्ष में कुल 75 विधायक हैं। इनमें 72 विधायक बीजेपी के हैं, इसके अलावा 3 विधायक सहयोगी आरएलपी के हैं।
धारीवाल भाजपा को आढ़े हाथों लिया
वहीं राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होने के साथ ही संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा को आढ़े हाथों लिया और कहा कि बीजेपी के पास सिर्फ एक काम बचा है, वो है विधायकों की खरीद-फरोख्त का गोरखधंधा करना। हमने BJP को छठी का दूध याद दिला दिया है।
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