आखिर क्यों विधायकों को रेगिस्तान में ले गए CM गहलोत? वजह आई सामने…

14 अगस्त को विधानसभा का सत्र शुरू होना है, जिसको लेकर गहलोत को रणनीति बदलनी पड़ी...

राजस्थान में राजनीतिक संकट गहरता ही जा रहा है. सचिन पायलट की चुनौती गहलोत (CM) के लिए अभी भी पहेली बनी हुई है. अशोक गहलोत (CM) अपने 45 साल के राजनीतिक करियर में इस वक्त की सबसे बड़ी सियासी परीक्षा से गुजर रहे हैं. वहीं सरकार बचने और गिरने में महज दो विधायकों के पाला बदलने का खेल है.

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बता दें कि 14 अगस्त को विधानसभा का सत्र शुरू होना है लेकिन ये 14 दिन गहलोत (CM) को मनो एक युग के बराबर लग रहे है. सूत्रों के इनपुट और पल- पल बदलते हालात ने गहलोत को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है.

ये है गहलोत की चिंता की वजह…

विधायकों की निगरानी कर रही गहलोत की टीम को खुफिया एजेंसियों से इनपुट मिला कि जयपुर में होटल में विधायकों से संपर्क की कोशिश की जा रही है. ये होटल जयपुर- गुड़गांव हाईवे पर है और गुड़गांव से पहले मानेसर में पायलट गुट होटल में है. इन दोनों होटलों की बीच फासला कम और सीधा रुट और चिंता वजह बना हुआ था. होटल के जयपुर में ही होने से विधायकों को कुछ देर के लिए घर जाने और घरवालों से मिलने का दबाब बढ रहा था. अन्यथा घरवालों को होटल में आने की इजाजत की मांग बढ़ रही थी.

ऐसे भी 14 अगस्त तक लंबा वक्त है और इस बीच रक्षा बंधन, ईद और जन्माष्टमी जैसे पर्व हैं. इन पर्व पर विधायकों को घर भेजने का परिवार वालों का दबाब बढ़ रहा था. विधायकों की मांग थी कि अगर उन्हें न भेजे तो बहनों को राखी बांधने होटल आने दें. घरवालों को पर्व मनाने आने दें. लेकिन विधायकों की निगरानी कर रही खुफिया एजेंसियों को इनपुट ने गहलोत को अलर्ट कर दिया. दरअसल, इन्हीं मौकों पर परिजनो के जरिये पायलट कैंप के विधायकों से संपर्क का इनपुट था.

सीएम के पास वर्तमान में 101 विधायक..

सीएम गहलोत को डर निर्दलीय और कांग्रेस की बाड़ेबंदी में मौजूद सचिन पायलट के संपर्क वाले विधायकों से बना हुआ है. गहलोत कैंप के पास वर्तमान में 101 विधायक हैं, जिसमें स्पीकर भी शामिल हैं. एक भी विधायक के पाला बदलने का मतलब सरकार का गिरना तय है. विधायक फेयरमाउंट में 16 दिन की बाड़ेबंदी से बोर हो गए थे. गहलोत के कुछ नजदीकी विधायकों ने राय दी थी सैर सपाटे के लिए ले जाये. रिस्क से बचने के लिए दूर दूराज शिफ्ट कर दें.

मानेसर से 700 किलोमीटर दूर होना बड़ी वजह…

दरअसल सीएम गहलोत विधायकों को ऐसी जगह शिफ्ट कर रहे है जहां आसानी से कोई पहुंच न सके.सीएम को जैसलमेर सबसे मुफीद लगा. उसकी दो वजह एक तो जयपुर से 500 किलोमीटर और मानेसर से 700 किलोमीटर दूर होना है. यही नहीं गहलोत के नजीदकी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सालेह मोहम्मद जैसलमेर के पोकरण से ही विधायक हैं.

जैसलमेर में सालेह के परिवार का दबदबा है. राजस्व मंत्री और गहलोत के नजदीकी हरीश चौधरी भी इसी इलाके से हैं. जैसलमेर में निर्जन रेगिस्तान भी है, पर्यटन स्थल भी है और निगरानी का पूरा तंत्र भी.

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