यूपी पुलिस पिछले कुछ दिनों से चर्चा है. 30 अगस्त को पुलिस कस्टडी में हुई युवक की मौत के मामले में इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जिन पर परिजनों ने पिटाई का आरोप लगाया था.
यही नहीं, युवक की मौत पर स्थानीय लोगों ने रायबरेली फतेहपुर मार्ग पर जाम लगाकर जमकर प्रदर्शन करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी.जबकि मामले के तूल पकड़ने और गंभीरता देखते हुए डीएम वैभव श्रीवास्तव ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए थे.
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पुलिस महकमे की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे परिजन
इसके अलावा डीएम और तत्कालीन एसपी ने मृतक के परिजनों को एक दिन का वेतन देकर उनके दुख पर मरहम लगाने के प्रयास भी किया था, लेकिन मृत दलित युवक के परिजन पुलिस महकमे द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी.
वहीं युवक की मौत के मामले में रायबरेली में तैनात हुए नए पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए तहरीर के आधार पर दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया, जिससे पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
ये है पूरा मामला…
गौरतलब है कि लालगंज पुलिस ने क्षेत्र के बेहटा कला के पूरे बैजू गांव से मोहित व उसके भाई को बाइक चोरी मामले में पूछताछ के लिए उठा ले थी. जहां 30 अगस्त को मोहित की मौत हो गई थी. खबर मिलते ही परिजनों ने ग्रामीणो के साथ मिलकर कोतवाली में जमकर हंगामा काटा. मामले को तूल पकड़ते देख आलाधिकारियों ने तत्काल कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की और परिजनों को समझाया और उनकी तहरीर ली. यही नहीं, युवक की मौत के मामले में न्यायिक जांच का आश्वासन दिया.
गुरुवार को पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने निवर्तमान इंस्पेक्टर हरिशंकर प्रजापति, दो सब इंस्पेक्टर जेपी यादव और अरविंद मौर्य समेत तीन पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया और मामले की जांच सीओ सलोन को सौंपी है.
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