सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब आपको महंगा पड़ सकता है. सोशल मीडिया पर किसी जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी पर अमर्यादित टिप्पणी करने पर पुलिस मुख्यालय अब सख्ती की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गई है.
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दरअसल पुलिस मुख्यालय ने चरित्र सत्यापन को लेकर एक नया आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत अगर कोई व्यक्ति विधि व्यवस्था की स्थिति में सड़क जाम और विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और अगर उसके खिलाफ अगर पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देती है तब ऐसा शख्स किसी भी तरह के सरकारी ठेके में भाग लेने या फिर सरकारी नौकरी में योगदान करने के काबिल नहीं माना जाएगा.
आदेश पत्र के बाद मची खलबली
वहीं बिहार के डीजीपी एस के सिंघल के आदेश से निकले इस आदेश पत्र के बाद से खलबली मच गई है. माना जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय इस तरह का आदेश निकाल कर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने में जुटा है. राजधानी पटना में विभिन्न मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन करने वाले सड़क पर उतरते हैं तो फिर उन्हें नौकरियां सरकारी ठेके से वंचित कर दिया जाना कितना उचित होगा?
बैठक में लिया गया फैसला…
गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी इसमें डीजीपी भी बतौर सदस्य शामिल हुए थे. इस बैठक में यह फैसला लिया गया था कि सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन जरूर देना होगा. अटकलें लगाई जा रही हैं कि पटना के इंडिगो स्टेशन हेड रूपेश हत्याकांड के बाद सरकार ने इस तरह का फैसला लिया है.
तेजस्वी ने किया सरकार पर हमला…
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले पर सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर हमला बोला है. तेजस्वी यादव का आरोप है कि सरकार बिहार के युवाओं से घबरा गई है और यही कारण है कि वह युवाओं को इस आदेश के माध्यम से डराना चाहती है लेकिन सत्तापक्ष के नेता इसे कानून व्यवस्था के हित मे उठाया गया कदम करार दे रहे है.
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