लखनऊ– निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि या अन्य मदों के नाम पर वसूले जा रहे मनमाने शुल्क से अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अध्यादेश, 2018’ को यूपी कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है।
अध्यादेश के दायरे में 20 हजार रुपए प्रति वर्ष से अधिक शुल्क वसूलने वाले कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी निजी व अल्पसंख्यक विद्यालय आएंगे। सिर्फ प्री-स्कूल इस अध्यादेश के दायरे से बाहर होंगे। अध्यादेश के प्रावधान वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2018-19 से लागू किए जाएंगे। अब निजी स्कूल हर साल मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा पाएंगे, हर साल दाखिला शुल्क नहीं ले पाएंगे और न ही 5 साल से पहले ड्रेस बदल पाएंगे। अभिभावकों से एकमुश्त एक या दो वर्ष की फीस नहीं ले पाएंगे। कैपिटेशन शुल्क पर स्कूलों को पूर्णतः अंकुश लगाना होगा। अध्यादेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए हर मंडल में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडलीय शुल्क नियामक समिति गठित होगी। समिति प्रावधान के पहली बार उल्लंघन पर 1 लाख रु. और दूसरी बार उल्लंघन पर 5 लाख रु.का जुर्माना लगाएगी। तीसरी बार उल्लंघन पर स्कूल की मान्यता वापस ली जाएगी।
उत्तर प्रदेश सहायक अभियंता सम्मिलित प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली, 2014 में संशोधन को उत्तर प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी। अब सहायक अभियंता के पदों के लिए इंटरव्यू 250 अंकों के स्थान पर 100 अंक का होगा। लिखित परीक्षा पूर्व की भांति 750 अंक की ही रहेगी।