प्रतापगढ़ –जिले मे आवारा पशुओं के आतंक से आजिज किसानों ने दर्जनों पशुओं को पकड़ कर प्राथमिक विधालय में कैद कर दिया है। यहां पशुओं के चलते खेती किसानी करना मुश्किल हो चुका है।
एक ओर जहां तमाम किसानों ने खेती बाड़ी से तौबा कर लिया तो वही जो किसान किसी तरह खून पसीने की कमाई को खेती में ये सोच कर लगते है कि खेती की कमाई से बेटियों के हाथ पीले कर लेंगे। उनकी इस सोच को धता बताते हुए सैकड़ो की तादात में छुट्टा गाय और साड़ चरने के साथ ही राउंड देते है।जहां मजबूर किसान मन मशोस कर रह जाते है।तमाम किसान तो कर्ज लेकर खेती करते है लेकिन फसल उगने के पहले ही उनके अरमान लूट जाते और किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो जाते है।
बता दे कि सूबे में आदित्यनाथ योगी ने मुख्यमंत्री बनते ही अवैध स्लॉटरो पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके आवारा पशुओं की शहर से लेकर गांव तक बाढ़ सी आ गई। मामला है सदर ब्लॉक के बड़ा पुरवा गांव का जहां अवर पशुओं द्वारा सैकड़ो किसानो की फसल बर्बाद करने से आक्रोशित किसानों ने दर्जनों आवारा पशुओं को प्राथमिक विधालय मे कैद कर दिया है। किसान महिला और पुरुष सुबह से ही आवारा पशुओ को पकड़ कर विधालय मे डाल रहे है।
अभी तक करीब तीन दर्जन से अधिक अवारा मवेशी को विधालय मे कैद करते हुए जिला प्रशासन को सूचना दिया है। सूचना के बाद भी कोई भी जिम्मेदारअफसर मौके पर नही पहुचा। हालांकि सरकारी पशु डाक्टरों की टीम मौके पर पहुची और मवेशी की गिनती करते हुए एडीएम को मामलो को अवगत करा दिया। जिसके बाद मामले मे निर्देश मिलते ही कार्रवाई की बात पशु चिकित्सक राजेश ने कही तो वही महिला किसान मालती वर्मा का कहना है की इलाके मे पूरी तरह से आवारा पशुओ का आतंक है। साल भर से आवारा पशु फसल का नुकसान कर रहे है। हम गरीब किसान बेबस है क्या करें।
फसलों का नुकसान होने से घरो मे खाने की दिक्कत भी बढ़ती जा रही है। अफसर पूरी तरह से लापरवाह बने हुए है। आज ग्रामीणो ने मिलकर 40 की संख्या मे आवारा मवेशी को स्कूल मे बंद किया है। सरकार इसको लेकर कोई भी बंदोबस करें। बताते चले की किसान आज प्रथिमिक विधालय को बास बाली से घेर कर सभी रास्ते को बंद कर दिया है आगे स्थित और विकराल रूप धारण कर सकती है। वही योगी सरकार के सख्त निर्देश के बाद भी जिले मे मवेशियो का आतंक व्यव्त है। सभी ब्लॉक मे गौशाला बनाने और आवारा मवेशी पकड़ने के अभियान प्रतापगढ़ मे बेहद ही धीमी गति से हो रहा है।
अब देखने वाली बात ये है कि किसानों की फरियाद मुख्यमंत्री के कानों तक कब पहुचेगी और इस दिशा में ठोस कार्यवाई होगी भी या यूं ही किसान तबाह और बर्बाद होता रहेगा। कहि ऐसा न हो कि आगामी लोकसभा चुनाव में सरकार के पतन का यही आवारा पशु और किसानों की आह सबसे बड़ा कारण न बन जाये।
(रिपोर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)