उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में शामिल आवारा जानवरो को बनाई गए गौशालाएं (Gaushalas) कब्रगाह में तब्दील होती जा रही है। गोशालाओं से गौसेवक लगातार वीडियो बायरल कर सच्चाई उजागर कर रहे है, जिसकी कभी मुख्यमंत्री ने भी कल्पना नही की होगी।
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ठंड में नही की गई काउकोट व्यवस्था
जब इसकी पड़ताल प्रतापगढ़ शहर की कान्हा गौशाला में की जिसका संचालन नगर पालिका के जिम्मे है। गोवंश की उपस्थिति बढ़ाचढ़ा कर दिखाया जा रहा है तो गौशाला (Gaushalas) में ठंड में काउकोट के बिना ठंड की चपेट गौवंश आ रहे है क्योंकि इनके बचाव की व्यवस्था नही है। जाड़े में इनके बैठने के लिए पुवाल बिछाने के निर्देश होने के बावजूद संचालन समिति के लोग लापरवाही बरत रहे है ।
खाने के पड़े लाले…
खाने के लिए न तो हराचारा है और न ही चुनी चोकर की व्यवस्था, धान के पुवाल के सहारे गौवंश का जीवन कट रहा है, जबकि गेंहू के भूसे दिखाने को रखे गए है। दबी जुबान यहा काम कर रहे लोग तीन गौवंश के प्रतिदिन मरने की बात तो करते है लेकिन कैमरे के सामने मुंह खोलने से डरते है। परिसर में दो गाय ठंड के चलते अंतिम सांसे गिन रही है।
कई बेजुबनों की हो चुकी है मौत…
टैग लगाने की व्यवस्था तो की गई है आंकड़ों के मुताबित 106 गौवंश है, लेकिन हकीकत इसके उलट है चंद गौवंश टैगयुक्त नजर आए और मौके पर बमुश्किल 50 ही दिखे जिसमे ज्यादातर बिना टैग के है जो खुद बयान करते है कि मौतों का आंकड़ा क्या है। बिना टैग के नए जानवर पहुंचे है तो वही टैगयुक्त जानवर कहा गए ये सवाल अनुत्तरित है।
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(रिपोर्ट- मनोज त्रिपाठी, प्रतापगढ़)